2014 से अब तक 1.25 लाख से अधिक मरीजों की आंखों की रोशनी लौटा चुका है यह अस्पताल, निःशुल्क उपचार ने इसे बनाया गरीबों का सहारा
उद्घाटन और विकास यात्रा
इस अस्पताल की स्थापना 25 मई 2014 को तत्कालीन जिला जज श्री चिंतामणि तिवारी ने उद्घाटन कर की थी। उस दिन से यह संस्थान बिना थके–बिना रुके अपनी सेवा यात्रा जारी रखे हुए है।
आंकड़े जो बताते हैं सफलता की कहानी
- प्रतिवर्ष 13,000 से 14,000 मरीजों के ऑपरेशन सफलतापूर्वक
- इनमें से लगभग 10,000 से 11,000 निःशुल्क ऑपरेशन
- 3,500 से 4,000 मरीजों का लेंस प्रत्यारोपण शुल्क के साथ
- अब तक लगभग 1.25 लाख मरीजों को दृष्टि लौटाई गई
प्रबंधक ब्रजेश पांडे – मरीजों के लिए सहारा
इस चिकित्सालय का प्रबंधन संभाल रहे श्री ब्रजेश पांडे न सिर्फ प्रशासनिक दक्षता के लिए बल्कि अपनी विनम्रता और सहयोगी स्वभाव के लिए भी जाने जाते हैं। मरीजों का कहना है कि उनकी मीठी–मीठी बातें आधा दर्द दूर कर देती हैं, बाकी इलाज यहां के कुशल चिकित्सक कर देते हैं।
कुशल डॉक्टर और आधुनिक सुविधाएं
यहां पर लेंस प्रत्यारोपण, मोतियाबिंद ऑपरेशन, आंख में उतरे नखूना का ऑपरेशन जैसी सेवाएं दी जाती हैं।
- सभी ऑपरेशन आधुनिक तकनीक से
- गरीब–अमीर सभी के लिए समान सुविधा
- बिना किसी भेदभाव के इलाज
मुख्य अस्पताल छपरा (बिहार) में
अखंड ज्योति नेत्र चिकित्सालय का मुख्य और भव्य अस्पताल मस्तीचक, छपरा (बिहार) में स्थित है। यहां पर
- रेटिना और पर्दा से जुड़ी जटिल बीमारियों का इलाज
- अत्याधुनिक उपकरणों से जांच और ऑपरेशन
- विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम 24 घंटे सेवा में तत्पर
गरीबों के लिए वरदान
पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार के हज़ारों ग्रामीण मरीज, जो आर्थिक तंगी के कारण महंगे अस्पतालों में इलाज नहीं करा सकते, उनके लिए यह अस्पताल आंखों की संजीवनी बूटी बन चुका है।
✍️परिवर्तन चक्र समाचार सेवा












0 Comments