क्रिसमस : प्रेम, आशा और मानवता की रोशनी का पर्व


क्रिसमस विश्वभर में उत्साह, उल्लास और पवित्र भावनाओं के साथ मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। इसे ईसाई धर्म के संस्थापक माने जाने वाले प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यीशु मसीह के जीवन का मूल संदेश—प्रेम, भाईचारा, क्षमा और मानवता—सदैव मानव समाज को अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसी संदेश को याद कर और आगे बढ़ाने के भाव से ही क्रिसमस का पर्व जगमगाता है। 

इस दिन आधी रात को चर्चों की घंटियाँ बजते ही विशेष प्रार्थना सभाएँ आरंभ होती हैं। श्रद्धालु मोमबत्तियाँ जलाकर विश्व में शांति और सद्भाव की कामना करते हैं। क्रिसमस ट्री, रंगीन झालरें, चमचमाती रोशनियाँ और सांता क्लॉज़ की खुशमिजाज छवि इस त्योहार की रौनक को और भी खास बना देती है। बच्चे विशेष रूप से इस दिन का इंतजार करते हैं, क्योंकि उन्हें सांता क्लॉज़ से उपहार, मिठाइयाँ और चॉकलेटें मिलती हैं। 

क्रिसमस केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह समाज को जोड़ने वाला उत्सव है। इस दिन लोग परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं, स्वादिष्ट भोजन बनाते हैं, केक काटकर खुशियाँ मनाते हैं और एक-दूसरे से प्रेमपूर्वक मिलते हैं। कई सामाजिक संस्थाएँ गरीबों, असहायों और वृद्धजनों के बीच कंबल, भोजन, कपड़े और मिठाइयाँ वितरण कर इस त्योहार की असली भावना—"खुशियाँ बांटना"—को साकार करती हैं। 

आज की आधुनिक दुनिया में जहाँ तनाव, प्रतिस्पर्धा और विभाजन की बातें अक्सर दिखाई देती हैं, वहीं क्रिसमस आशा की एक किरण बनकर सामने आता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हम चाहे किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से हों—एक-दूसरे से प्रेम और सम्मान करना ही इंसानियत का पहला धर्म है।

प्रभु यीशु की सीख—

"दूसरों से वैसा ही प्रेम करो जैसा तुम स्वयं से करते हो"

आज भी मानव सभ्यता की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

अंततः, क्रिसमस का पर्व हमें यह संदेश देता है कि जीवन का असली सुख केवल पाने में नहीं, बल्कि देने में है—सहानुभूति देने में, प्रेम देने में और किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने में।

परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️ 



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