भारत रत्न से सम्मानित भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, प्रखर वक्ता, संवेदनशील कवि, राष्ट्रभक्त नेता और जन-जन के दिलों में बसने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती 25 दिसंबर के ऐतिहासिक अवसर पर पूरे देश में उन्हें स्मरण करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। 25 दिसंबर मात्र एक तारीख नहीं, बल्कि भारत के गौरव, लोकतांत्रिक मर्यादा और राष्ट्र निर्माण के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देने वाले एक महान व्यक्तित्व की याद का दिवस है। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे अटल जी बचपन से ही शांत, स्पष्ट विचारों वाले और साहित्यिक रुचि के धनी रहे। अध्ययनकाल से ही उन्होंने राष्ट्रीय चेतना और जनहित की अलख जगाई, और आगे चलकर भारतीय राजनीति के ऐसे स्तंभ बने जिन्होंने दल और विचारधारा से ऊपर उठकर राष्ट्र को सर्वोपरि माना। उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता विनम्रता और दृढ़ता का अद्भुत संतुलन थी। वे कहा करते थे—"हम लड़ेंगे भी, लिखेंगे भी और लड़ते-लड़ते लिखेंगे भी।" राजनीति में शुचिता, आदर्शवाद और संवाद की संस्कृति के प्रतीक अटल जी ने सदैव लोकतंत्र की मर्यादा को बनाए रखा। विपक्ष में बैठकर भी उन्होंने सत्ता पक्ष के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए अपनी बात को तर्कों और संयम के साथ प्रस्तुत किया, यही कारण था कि वे किसी एक दल या वर्ग के नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के नेता कहलाए।
प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय माना जाता है। उनके नेतृत्व में वर्ष 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण हुआ जिसने भारत को वैश्विक मंच पर परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के रूप में स्थापित किया और राष्ट्रीय आत्मगौरव को नई ऊँचाई दी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत उन्होंने ग्रामों तक सड़कों के विशाल नेटवर्क का निर्माण शुरू कराया, जिससे कृषि, ग्रामीण व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को नई गति मिली। वहीं स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना द्वारा देश के चारों महानगरों को जोड़ने वाला ऐतिहासिक सड़क नेटवर्क तैयार किया गया, जिसने आधुनिक भारत की आधारभूत संरचना की नींव रखी। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अटल जी सर्वाधिक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। उनकी ऐतिहासिक लाहौर बस यात्रा ने पूरे विश्व को यह संदेश दिया कि भारत शांति-प्रिय राष्ट्र है, परंतु राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता स्वीकार्य नहीं।
राजनीति के साथ-साथ एक संवेदनशील कवि के रूप में भी उनका साहित्य जन-मन को प्रेरित करता रहा। उनकी प्रसिद्घ पंक्तियाँ—"हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा, काल के कपाल पर लिखूँगा—मैं भारत का भाग्य बदलूँगा"—उनके अटल संकल्प और राष्ट्रप्रेम की व्याख्या स्वयं करती हैं। उन्होंने सत्ता को कभी लक्ष्य नहीं माना, बल्कि जनसेवा को राजनीति का अंतिम उद्देश्य समझा। वे कहा करते थे—"राजनीति में सिद्धांतहीनता, सत्ता की लालसा और नैतिक पतन से बड़ा कोई अपराध नहीं।" उनके इसी कृतित्व और राष्ट्र सेवाओं के कारण वर्ष 2015 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से अलंकृत किया गया। अटल जी आज की युवा पीढ़ी को यह संदेश देते हैं—राष्ट्र पहले, व्यक्ति बाद में; विचारधारा हो लेकिन मन में कटुता नहीं; विरोध हो पर शत्रुता नहीं; सत्ता मिले पर अहंकार नहीं।
भौतिक रूप से अटल जी हमारे बीच नहीं हैं, परंतु उनके विचार, नेतृत्व, आदर्श और साहित्य की ज्योति सदैव राष्ट्र को आलोकित करती रहेगी। 25 दिसंबर—अटल जयंती—के इस पावन अवसर पर हम संकल्प लेते हैं कि हम राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखेंगे, सत्य, सेवा और कर्तव्यनिष्ठा के मार्ग पर चलेंगे और भारत को उनके सपनों के अनुरूप विश्वगुरु बनाने में अपना योगदान देंगे। राष्ट्र का यह महान सपूत सदैव स्मरणीय रहेगा। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
धीरेन्द्र प्रताप सिंह ✍️
सहतवार, बलिया (उ.प्र.)
मो. नं. - 9454046303



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