राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस : पर्यावरण संरक्षण का संकल्प, स्वच्छ भविष्य की दिशा


हर वर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। यह दिवस 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की स्मृति तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस दिन का मूल संदेश यही है कि विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय सुरक्षा मानकों का पालन अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि छोटी-सी लापरवाही भी बड़े जनहानि और दीर्घकालिक प्रदूषण संकट का कारण बन सकती है। आज प्रदूषण केवल एक पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर खतरा बन चुका है। तेजी से बढ़ता औद्योगिकीकरण, वाहन उत्सर्जन, प्लास्टिक का अनियंत्रित उपयोग, कचरा प्रबंधन की कमी और प्रकृति के संसाधनों का अंधाधुंध दोहन प्रदूषण को विकराल रूप दे रहा है। वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा, फेफड़ों के रोग, हृदय संबंधी बीमारियाँ बढ़ रही हैं, वहीं जल और मिट्टी का प्रदूषण मानव स्वास्थ्य, खेती और खाद्य सुरक्षा के लिए चुनौती बनकर खड़ा है। शहरी ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों तक प्रदूषण का दुष्प्रभाव तेजी से फैल रहा है।

भोपाल गैस त्रासदी ने इस बात का सबक दिया कि जब उद्योगों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी होती है, तब परिणाम बेहद विनाशकारी होते हैं। आज भी लाखों लोग उस घटना के प्रभावों से जूझ रहे हैं। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हमें चेताता है कि पर्यावरण संरक्षण कोई विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। देश में प्रदूषण नियंत्रण हेतु विभिन्न योजनाएं संचालित हैं—स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध, वाहनों के लिए BS-VI मानक, हरित ऊर्जा को बढ़ावा जैसे कई प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। लेकिन इन पहलों को सफल बनाने के लिए केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की सहभागिता भी अनिवार्य है।

जरूरत इस बात की है कि हम अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव लाएँ—वाहनों का नियंत्रित उपयोग, ऊर्जा की बचत, पौधरोपण, कचरे का सही निस्तारण, जल संरक्षण और प्लास्टिक के उपयोग को कम करना जैसे कदम बड़े स्तर पर सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उद्योगों और निर्माण इकाइयों को भी पर्यावरणीय मानकों का कड़ाई से पालन करना होगा। स्कूलों, संस्थानों और समाज के हर वर्ग को प्रदूषण नियंत्रण के प्रति जागरूकता फैलानी होगी।

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि स्वच्छ पर्यावरण ही स्वस्थ भविष्य की नींव है। यदि हम आज गंभीर प्रयास नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और जीवनयोग्य धरती छोड़ पाना मुश्किल होगा। प्रदूषण रोकना किसी एक विभाग या संस्था की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सभी की सामूहिक प्रतिबद्धता है। इस अवसर पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर ही विकास का मार्ग चुना जाएगा और पर्यावरण संरक्षण को जीवन का हिस्सा बनाया जाएगा।


डॉ. जनार्दन चतुर्वेदी "कश्यप"✍️

राजपूत नेवरी, भृगु आश्रम, बलिया (उ.प्र.)

मो. नं. - 9935108535




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