हर वर्ष 2 दिसंबर को विश्व कम्प्यूटर साक्षरता दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य समाज के प्रत्येक वर्ग को डिजिटल ज्ञान से जोड़ना, तकनीक के प्रति जागरूक बनाना और कम्प्यूटर साक्षरता को शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बनाना है। आज के दौर में कम्प्यूटर केवल एक उपकरण नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र की मूल आवश्यकता बन चुका है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, व्यापार, बैंकिंग, परिवहन, शासन-प्रशासन और रोजगार—हर क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग तेजी से बढ़ा है। ऐसे में डिजिटल ज्ञान से वंचित रहना, आधुनिक अवसरों से खुद को दूर कर लेने जैसा है।
विश्व कम्प्यूटर साक्षरता दिवस हमें इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाता है कि तकनीक का विकास तभी सार्थक है जब इसका लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे। आज भी कई ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में कम्प्यूटर साक्षरता का स्तर काफी कम है। डिजिटल डिवाइड यानी तकनीकी असमानता एक बड़ी चुनौती बनकर सामने खड़ी है। ऑनलाइन सेवाओं, सरकारी योजनाओं, डिजिटल बैंकिंग, ई-गवर्नेंस और ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच तभी संभव है जब हर व्यक्ति कम्प्यूटर के मूल उपयोग से परिचित हो। कोविड-19 के दौरान यह बात विशेष रूप से स्पष्ट हो गई कि तकनीक से जुड़ाव अब कोई विकल्प नहीं, बल्कि मजबूरी बन चुका है।
कम्प्यूटर साक्षरता केवल कम्प्यूटर चलाना नहीं, बल्कि डिजिटल सुरक्षा, इंटरनेट के जिम्मेदार उपयोग, ऑनलाइन कार्यप्रणाली को समझना और डिजिटल धोखाधड़ी से बचना भी है। आज साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, इसलिए डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना समय की जरूरत है। सरकार द्वारा कई योजनाएं जैसे डिजिटल इंडिया, पीएमजीDISHA, डिजिटल साक्षरता अभियान आदि चलाकर समाज को तकनीक से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। स्कूलों और कॉलेजों में कम्प्यूटर शिक्षा को अनिवार्य किया गया है, वहीं विभिन्न संस्थान और स्वयंसेवी संगठन भी डिजिटल जागरूकता बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
कम्प्यूटर साक्षरता के माध्यम से युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खुलते हैं। आईटी क्षेत्र में भारत की दुनिया भर में पहचान है और यह तभी संभव है जब देश का हर युवा तकनीक के प्रति जागरूक और सक्षम हो। डिजिटल कौशल आज हर नौकरी की प्राथमिक आवश्यकता बन चुकी है। छोटे व्यवसाय, स्टार्टअप, किसान और महिलाओं तक यदि तकनीक की पहुंच बढ़ेगी तो आर्थिक विकास की गति भी और मजबूत होगी।
विश्व कम्प्यूटर साक्षरता दिवस का संदेश स्पष्ट है—ज्ञान, तकनीक और अवसर सभी तक समान रूप से पहुँचें। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी व्यक्ति डिजिटल अज्ञानता के कारण पिछड़ न जाए। कम्प्यूटर साक्षरता बढ़ाना केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि निरंतर चलने वाला प्रयास होना चाहिए। यदि समाज के हर वर्ग को डिजिटल रूप से सक्षम बनाया जाए, तो न केवल देश की प्रगति तेज होगी बल्कि नागरिक अधिक आत्मनिर्भर और जागरूक बनेंगे। इस अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि तकनीक का उपयोग समाजहित में, सीखने के लिए और सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए किया जाएगा, ताकि डिजिटल भारत का सपना वाकई हकीकत बन सके।
परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️


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