उनकी राजनीतिक यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू था—भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका अडिग रुख। बोफोर्स मामले में पद छोड़ने का साहस दिखाकर उन्होंने यह साबित किया कि सत्ता से अधिक महत्वपूर्ण नैतिकता और पारदर्शिता है। इसी कारण वे “मिस्टर क्लीन” के नाम से भी पहचाने जाते हैं। आम जनता के बीच उनकी छवि एक सिद्धांतवादी नेता की थी, जिसके निर्णयों में व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं, बल्कि राष्ट्रहित की झलक मिलती थी।
प्रधानमंत्री के रूप में उनका ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव वाला निर्णय था मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करना। यह कदम समाज के वंचित, पिछड़े और उपेक्षित वर्गों के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करने वाला साबित हुआ। विरोध, आलोचना और राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद वे सामाजिक न्याय की अपनी प्रतिबद्धता से नहीं डगमगाए। उनके इस साहसिक निर्णय ने भारतीय सामाजिक संरचना को नया आयाम दिया और लोकतंत्र की वास्तविक आत्मा—समान अवसर—को मजबूत किया।
वी.पी. सिंह का जीवन सादगी, संवेदनशीलता और आदर्शवाद की मिसाल था। उन्होंने कभी सत्ता का दिखावा नहीं किया और न ही अपने सिद्धांतों को राजनीतिक लाभ के लिए बदला। राजनीति से दूर रहने के बावजूद वे किसानों, मजदूरों और वंचितों की आवाज बने रहे। उनका व्यक्तित्व बताता है कि राजनीति में नैतिकता और जनकल्याण आज भी संभव है, बस उसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति और स्पष्ट सोच की आवश्यकता है।
उनकी पुण्यतिथि हमें याद दिलाती है कि नेतृत्व सिर्फ पद पाने का साधन नहीं, बल्कि समाज को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपनी ईमानदार छवि, साहसिक फैसलों और सामाजिक न्याय की विचारधारा से भारतीय लोकतंत्र को नई दिशा दी। आज भी उनका योगदान प्रेरणा देता है कि सच्चा नेता वही है जो कमजोरों के लिए खड़ा हो, सत्य के लिए संघर्ष करे और राष्ट्रहित को व्यक्तिगत हित से ऊपर रखे।
राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी पुण्यतिथि पर हम एक सिद्धांतवादी, दूरदर्शी और न्यायपूर्ण समाज के प्रबल समर्थक नेता को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️


0 Comments