नई दिल्ली। भारत को नया मुख्य न्यायाधीश मिल गया है। जस्टिस सूर्यकांत ने आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित गरिमामय समारोह में देश के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। CJI के रूप में उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा। दो दशक से अधिक के समृद्ध न्यायिक अनुभव वाले जस्टिस सूर्यकांत ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अनेक ऐतिहासिक निर्णय दिए हैं, जिनमें अनुच्छेद 370, अभिव्यक्ति की आजादी, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण संरक्षण और लैंगिक समानता जैसे विषय प्रमुख रहे।
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कई देशों के मुख्य न्यायाधीश और शीर्ष न्यायाधीश उपस्थित रहे, जिनमें भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योंपो नॉर्बू शेरिंग, ब्राजील के एडसन फाचिन, केन्या की जस्टिस मार्था कूम, मॉरीशस की मुख्य न्यायाधीश बीबी रेहाना मुंगली-गुलबुल, नेपाल के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह राउत, और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश पी. पद्मन सुरेसन सहित अनेक अंतरराष्ट्रीय न्यायविद शामिल हुए।
हरियाणा के हिसार जिले के पेटवार गांव में 10 फरवरी 1962 को जन्मे जस्टिस सूर्यकांत का बचपन बेहद सादगीभरा रहा। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े सूर्यकांत ने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में पूरी की, जहां बेंच तक नहीं थीं। बाद में उन्होंने हिसार और रोहतक से उच्च शिक्षा प्राप्त की और 1984 में कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वकालत की शुरुआत की। कुछ ही वर्षों में वे हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने और जनवरी 2004 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी जज नियुक्त हुए। 2018 में वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए।
सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने लगभग 80 महत्वपूर्ण फैसले लिखे। इनमें एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का मार्ग खोलने वाला फैसला, असम समझौते से जुड़े नागरिकता कानून की धारा 6-ए पर सुनवाई, दिल्ली की आबकारी नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत, तथा पेगासस स्पाईवेयर मामले में स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश शामिल है। इसके अलावा पंजाब–हरियाणा हाईकोर्ट में जज रहते हुए उन्होंने कैदियों को वैवाहिक मुलाकात या कृत्रिम गर्भाधान से संतान उत्पत्ति का अधिकार देने जैसे ऐतिहासिक निर्णय दिए।
गंभीर, संतुलित और संवेदनशील विचारों वाले न्यायविद के रूप में पहचाने जाने वाले जस्टिस सूर्यकांत का न्यायिक सफर हमेशा जनसरोकारों, संवैधानिक मूल्यों और पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा को समर्पित रहा है। देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनसे न्यायपालिका की पारदर्शिता, जवाबदेही और संवैधानिक मर्यादाओं को और मजबूत करने की उम्मीद की जा रही है।


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