गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर विशेष :-
“नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला।”
यह पंक्ति गुरु नानक देव जी के उपदेशों का सार है — आत्मिक उत्थान, सामाजिक सद्भाव और विश्व कल्याण की भावना।
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 (कार्तिक पूर्णिमा) को पंजाब के तलवंडी गाँव (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। उनका जीवन मानवता, समानता और प्रेम का अद्भुत प्रतीक रहा। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद और भेदभाव का विरोध करते हुए सच्चे मानव धर्म की स्थापना की।
गुरु नानक देव जी ने अपने प्रवचनों के माध्यम से यह संदेश दिया कि ईश्वर एक है और हर जीव में वही विद्यमान है। उन्होंने कहा — “एक ओंकार सतनाम” अर्थात् ईश्वर एक है, जो सत्य है और सदा रहने वाला है। वे कर्म, भक्ति और सेवा को मानव जीवन का मूल आधार मानते थे।
उन्होंने अपने अनुयायियों को तीन प्रमुख सिद्धांतों का पालन करने का संदेश दिया —
1. नाम जपना – प्रभु के नाम का ध्यान करना।
2. कीरत करनी – ईमानदारी से जीवनयापन करना।
3. वंड छकना – जो कुछ भी प्राप्त हो, उसे सबके साथ बाँटना।
गुरु नानक देव जी ने चारों दिशाओं में यात्रा कर मानवता का संदेश फैलाया। वे हिंदू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे और उन्होंने स्पष्ट कहा — “ना कोई हिंदू, ना मुसलमान, सब इंसान हैं।” उनके उपदेश आज भी समाज में शांति, एकता और प्रेम का मार्ग दिखाते हैं।
उनका जीवन यह सिखाता है कि धर्म केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि मानवता की सेवा और सत्य मार्ग पर चलना है। उन्होंने कहा था — “जो तो प्रेम खेलेन का चाहे, सिर धर तली गली मेरी आहि।” अर्थात् सच्चे प्रेम के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति अपने अहंकार का त्याग करे।
आज जब समाज विभाजन और स्वार्थ की भावना से ग्रस्त है, तब गुरु नानक देव जी के उपदेश पहले से अधिक प्रासंगिक हैं। उनका प्रकाश पर्व हमें याद दिलाता है कि सच्ची रोशनी वही है, जो हमारे मन और कर्म को प्रकाशित करे।
गुरु नानक देव जी की वाणी आज भी शांति, समानता और प्रेम का अमृत संदेश देती है। उनका जीवन एक दीपक की तरह है, जो युगों-युगों तक मानवता को मार्ग दिखाता रहेगा।
गुरु नानक देव जी अमर रहें — उनकी शिक्षाएँ हमारे जीवन को आलोकित करती रहें।
परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️


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