भारत के इतिहास में 19 नवम्बर एक ऐसा दिन है, जब देश अपनी सबसे सशक्त, दूरदर्शी एवं निर्णायक नेतृत्व क्षमता वाली प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। यह जयंती केवल एक व्यक्तित्व को याद करने का अवसर नहीं, बल्कि उस युग, उस संघर्ष, उस राजनीतिक परिपक्वता और उस राष्ट्रवादी चेतना को स्मरण करने का क्षण है, जिसने भारत को मजबूती, आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिष्ठा के नए आयाम प्रदान किए।
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवम्बर 1917 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के घर में हुआ। बचपन से ही वे स्वतंत्रता आंदोलन, राष्ट्रीय विचारों और जनसेवा के संस्कारों से घिरी रहीं। यही कारण था कि राजनीति उनके लिए सत्ता का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्र के लिए समर्पण का व्रत बन गई। जब उन्होंने देश की बागडोर संभाली, तब भारत अनेक चुनौतियों से जूझ रहा था—आर्थिक संसाधनों की कमी, वैश्विक दबाव, सीमाई संकट, गरीबी और पिछड़ापन। परंतु उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छा-शक्ति और स्पष्ट निर्णय क्षमता से इन चुनौतियों को अवसरों में बदला।
इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने 1971 के युद्ध में ऐतिहासिक विजय प्राप्त की, जिसने विश्व मंच पर भारत की रणनीतिक शक्ति और राजनीतिक दृढ़ता को सिद्ध किया। बांग्लादेश के निर्माण में उनके साहसिक निर्णय ने उन्हें विश्व राजनीति की सबसे सशक्त महिला नेताओं की श्रेणी में स्थापित कर दिया। इसी अवधि में उन्होंने हरित क्रांति को गति दी, जिससे भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ। गरीबों को सशक्त बनाने हेतु “गरीबी हटाओ” जैसे जनकल्याणकारी नारे और योजनाएं उनके सामाजिक दृष्टिकोण का प्रतीक बने।
उनका व्यक्तित्व उस लौह महिला का था, जो परिस्थितियों से नहीं घबराती थी, बल्कि परिस्थितियाँ उनके सामने झुकती थीं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने भारत की अस्मिता को निर्णायक रूप से स्थापित किया। देश के उद्योग, तकनीक, एटमी कार्यक्रम और रक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में उनकी ऐतिहासिक भूमिका आज भी प्रेरणा देती है।
हालाँकि उनका जीवन संघर्षों, विवादों और चुनौतियों से भरा रहा, परंतु वे हर चुनौती से अधिक मजबूत होकर निकलीं। उन्हीं संघर्षों के बीच उन्होंने देशहित को सर्वोपरि रखा और अंततः अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए अपने प्राणों की आहुति भी दे दी। इंदिरा गांधी की निष्ठा, देशभक्ति और अदम्य साहस आज भी राष्ट्र निर्माण में लगी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरक स्रोत है।
इंदिरा गांधी जयंती हमें यह संदेश देती है कि नेतृत्व का अर्थ केवल पद नहीं, बल्कि जिम्मेदारी, दृढ़ता और देश के प्रति समर्पण है। उनके विचार, उनके निर्णय और उनका जीवन-पथ हमें हमेशा एक मजबूत, आत्मनिर्भर और प्रगतिशील भारत के निर्माण की ओर प्रेरित करता रहेगा।
पंडित विजेंद्र कुमार शर्मा ✍️
जीरा बस्ती बलिया (उ.प्र.)



0 Comments