भारत में किडनी रोग लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। द लैंसेट की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में करीब 13.8 करोड़ भारतीय क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ (CKD) से पीड़ित थे। चिंताजनक बात यह है कि 2018 से 2023 के बीच यह अनुपात 11.2% से बढ़कर 16.4% तक पहुंच गया। यह बढ़ोतरी बताती है कि किडनी संबंधी बीमारियां देश में बड़ा स्वास्थ्य संकट बनती जा रही हैं।
किडनी का काम शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है—यह खून साफ करती हैं, शरीर में फ्लूइड बैलेंस बनाए रखती हैं और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करती हैं। लेकिन कई बार वे ही दवाएं, जो हमें बीमारियों से राहत देने के लिए दी जाती हैं, किडनी को नुकसान पहुंचाने लगती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, कुछ दवाओं का लंबे समय तक सेवन या बिना डॉक्टर की निगरानी के उपयोग किडनी की कार्यक्षमता को धीरे-धीरे कमजोर कर सकता है।
नीचे ऐसी 5 प्रमुख दवा श्रेणियां दी गई हैं जो किडनी के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकती हैं—
1. नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs)
इबुप्रोफेन, नेप्रॉक्सन, डिक्लोफेनाक आदि
2. एमिनोग्लाइकोसाइड एंटीबायोटिक्स
जेन्टामाइसिन, टोब्रामाइसिन, अमिकासिन आदि
3. वैंकोमाइसिन एवं अन्य ग्लाइकोपेप्टाइड एंटीबायोटिक्स
4. रैडियोकॉन्ट्रास्ट एजेंट्स
सीटी स्कैन, एंजियोग्राफी आदि में उपयोग होने वाले डाई
5. ACE Inhibitors / ARBs (कुछ परिस्थितियों में हानिकारक)
लिसिनोप्रिल, रैमिप्रिल, लॉसार्टन आदि
किडनी बचाने के लिए जरूरी सावधानियां
- किसी भी दवा का लंबे समय तक सेवन डॉक्टर से बिना सलाह के न करें।
- दर्द की दवाओं का रूटीन उपयोग किडनी के लिए सबसे खतरनाक है।
- किसी भी स्कैन या एंजियोग्राफी से पहले डॉक्टर को बताएं कि आपको किडनी की समस्या है या नहीं।
- एंटीबायोटिक्स केवल विशेषज्ञ की निगरानी में ही लें।
- पानी की पर्याप्त मात्रा लें और डिहाइड्रेशन से बचें।
- नियमित रूप से किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) कराते रहें, खासकर यदि आप BP/शुगर के मरीज हैं।


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