हर वर्ष 19 नवम्बर को विश्वभर में महिला उद्यमिता दिवस मनाया जाता है। यह दिन उस अदम्य जज़्बे, दृढ़ निश्चय और नवप्रवर्तनशील सोच का सम्मान है, जिसके बल पर महिलाएँ न केवल अपनी पहचान बना रही हैं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित कर रही हैं। आधुनिक भारत में महिला उद्यमियों की बढ़ती भूमिका यह प्रमाणित करती है कि समाज में परिवर्तन का मार्ग तब ही प्रशस्त होता है, जब महिलाओं को समान अवसर, प्रोत्साहन और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाता है।
आज की महिला केवल घर की जिम्मेदारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह उद्योगों, स्टार्टअप्स, नवाचार, कला, तकनीक, कृषि, फैशन, व्यापार और सेवा क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही है। ‘मुद्रा योजना’, ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘स्टैंडअप इंडिया’, ‘महिला को-ऑपरेटिव’, स्वयं सहायता समूहों और डिजिटल सपोर्ट सिस्टम ने लाखों महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ग्रामीण भारत की महिलाएँ भी अब उद्यमिता के माध्यम से आत्मनिर्भरता की मजबूत मिसाल बन रही हैं।
महिला उद्यमियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे केवल लाभ कमाने के लिए नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से कार्य करती हैं। वे रोजगार सृजन करती हैं, स्थानीय कौशल को वैश्विक पहचान दिलाती हैं और आर्थिक विकास के नए रास्ते खोलती हैं। उनकी कार्यशैली में अनुशासन, संवेदनशीलता, रचनात्मकता और दृढ़ता का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है, जो किसी भी उद्यम को स्थायी विकास की दिशा में ले जाता है।
महिला उद्यमिता दिवस हमें यह भी स्मरण कराता है कि सफलता का मार्ग आसान नहीं होता। अनेक महिलाएँ आज भी सामाजिक प्रतिबंधों, संसाधनों की कमी, वित्तीय सहायता के अभाव और पारिवारिक दायित्वों जैसी चुनौतियों से जूझती हैं। लेकिन इनके बावजूद वे जिस शक्ति और साहस के साथ आगे बढ़ती हैं, वह पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत है।
आज आवश्यकता इस बात की है कि परिवार, समाज, सरकार और उद्योग जगत मिलकर महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में और अधिक अवसर प्रदान करें। वित्तीय साक्षरता, कौशल प्रशिक्षण, डिजिटल ज्ञान, मार्केटिंग सपोर्ट और सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाकर ही हम वास्तविक महिला सशक्तिकरण की दिशा में निर्णायक कदम उठा सकते हैं।
महिला उद्यमिता दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि महिलाओं के सपनों, संघर्षों और उपलब्धियों का वैश्विक सम्मान है। यह दिन संदेश देता है कि जब महिलाएँ आगे बढ़ती हैं, तो पूरा समाज आगे बढ़ता है। आज की उद्यमी महिलाएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए साहस, मेहनत और स्वाभिमान की प्रेरणा बनकर उभर रही हैं। उनके सपनों में एक नए भारत की तस्वीर दिखाई देती है—एक ऐसा भारत जो आत्मनिर्भर, समावेशी और प्रगतिशील हो।
डॉ. निर्भय नारायण सिंह, एडवोकेट✍️
पूर्व अध्यक्ष, फौजदारी अधिवक्ता संघ, बलिया (उ.प्र.)



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