हर वर्ष 21 अक्टूबर को पूरे देश में ‘पुलिस स्मृति दिवस’ मनाया जाता है। यह दिन भारत की उन वीर पुलिसकर्मियों की अमर गाथा को स्मरण करने का अवसर है, जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और जनसेवा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। यह दिवस सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उन अमर सपूतों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है, जिनकी वर्दी भले ही धूल में मिल गई, पर उनका साहस और समर्पण सदैव अमर रहेगा।
इस दिन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के एक गश्ती दल पर चीनी सैनिकों ने घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में हमारे 10 बहादुर पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। उनके अदम्य साहस और बलिदान की स्मृति में 1960 से हर वर्ष 21 अक्टूबर को ‘पुलिस स्मृति दिवस’ मनाया जाने लगा। यह दिन हमें याद दिलाता है कि देश की सीमाओं की रक्षा में सिर्फ सैनिक ही नहीं, बल्कि हमारे पुलिस बल के जवान भी अग्रिम पंक्ति में रहते हैं।
कर्तव्य, अनुशासन और बलिदान की मिसाल
पुलिस कर्मी का जीवन आसान नहीं होता। वह दिन-रात, गर्मी-सर्दी, त्योहार और पारिवारिक अवसरों से दूर रहकर जनता की सुरक्षा में तत्पर रहता है।
जहां बाकी देश उत्सव मनाता है, वहीं पुलिस वर्दी में सजे लोग सड़कों पर तैनात रहते हैं ताकि समाज शांति और सुरक्षित वातावरण में त्योहार मना सके।
उनका हर दिन चुनौती से भरा होता है — अपराध से लड़ना, कानून व्यवस्था बनाए रखना, जनता की मदद करना और आपदाओं में बचाव कार्यों में जुट जाना उनका कर्तव्य है।
शहादत का सम्मान, सेवा की प्रेरणा
हर वर्ष इस अवसर पर देशभर के पुलिस स्मारकों पर परेड और श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किए जाते हैं। शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया जाता है और पुलिस बल के जवान उनकी याद में दो मिनट का मौन रखकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। यह अवसर हर पुलिसकर्मी के लिए अपने कर्तव्यों के प्रति नई ऊर्जा और समर्पण का संकल्प लेने का दिन भी होता है।
समाज की सुरक्षा, पुलिस का धर्म
पुलिस सिर्फ कानून का रक्षक नहीं, बल्कि समाज की आत्मा का प्रहरी है। संकट की घड़ी में सबसे पहले जो मदद के लिए पहुंचता है, वह पुलिसकर्मी ही होता है। सड़क दुर्घटना, दंगा, आपदा, या किसी नागरिक की परेशानी — हर जगह सबसे पहले “जनसेवक” के रूप में पुलिस कर्मी खड़ा दिखाई देता है। उनके चेहरे पर कठोरता भले दिखती हो, लेकिन दिल में समाज के प्रति संवेदना और सेवा भाव होता है।
श्रद्धांजलि और संकल्प
इस पुलिस स्मृति दिवस पर हमें उन सभी वीर पुलिसकर्मियों को नमन करना चाहिए जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें सुरक्षित रखा।
आइए, हम संकल्प लें कि हम अपने इन प्रहरी नायकों का सम्मान करेंगे, उनके कार्यों की सराहना करेंगे और समाज में पुलिस के प्रति सहयोग और विश्वास का वातावरण बनाएंगे।
“जो खामोश रहते हैं, वही सबसे बड़ी सुरक्षा देते हैं —
क्योंकि वर्दी का हर कतरा एक शपथ है — ‘जनसेवा और राष्ट्ररक्षा’ की।”
धीरेन्द्र प्रताप सिंह ✍️
सहतवार, बलिया (उ.प्र.)
मो. नं. - 9454046303
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