हिमालय दिवस : प्रकृति, संस्कृति और जीवन का आधार


हर साल 9 सितम्बर को "हिमालय दिवस" (Himalaya Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हिमालय केवल एक पर्वत श्रृंखला नहीं, बल्कि भारत और दक्षिण एशिया के लिए जीवनदायिनी धरोहर है। इसे धरती का मुकुट भी कहा जाता है, जो न केवल करोड़ों लोगों के जीवन और आजीविका का आधार है, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

हिमालय का भौगोलिक महत्व

हिमालय विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है, जिसमें माउंट एवरेस्ट (8849 मीटर) सहित अनेक ऊँचे शिखर शामिल हैं। लगभग 2400 किलोमीटर लंबा और 300 किलोमीटर चौड़ा यह पर्वतीय क्षेत्र पाँच देशों में फैला है—भारत, नेपाल, भूटान, तिब्बत (चीन) और पाकिस्तान। भारत में यह जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है और यहाँ अनेक महत्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थल है।

जीवनदायिनी नदियों का उद्गम

हिमालय से निकलने वाली गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, सिंधु जैसी महान नदियाँ उत्तर भारत के करोड़ों लोगों को जल और जीवन प्रदान करती हैं। यही कारण है कि हिमालय को गंगा-जमुनी सभ्यता का पालक भी माना जाता है। कृषि, पेयजल, सिंचाई और बिजली उत्पादन सभी इन नदियों पर निर्भर हैं।

जैव विविधता का खजाना

हिमालय क्षेत्र जैव विविधता का खजाना है। यहाँ पाए जाने वाले वन्यजीव—हिम तेंदुआ, कस्तूरी मृग, लाल पांडा—दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजातियाँ हैं। इसके अलावा औषधीय पौधों, फल-फूल और प्राकृतिक वनस्पतियों की भी भरमार है। ये संसाधन केवल हिमालयी समाज ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

हिमालय को भारत में देवभूमि कहा जाता है। कैलाश पर्वत, अमरनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब जैसे धार्मिक स्थल यहीं स्थित हैं। भारतीय दर्शन, योग और अध्यात्म में हिमालय का विशेष स्थान है। ऋषि-मुनियों की तपस्थली और साधना का केंद्र यही पर्वत श्रृंखला रही है।

पर्यावरणीय चुनौतियाँ

आज हिमालय अनेक गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है—

  1. जलवायु परिवर्तन : ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं।
  2. अत्यधिक वनों की कटाई : प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है।
  3. अनियंत्रित पर्यटन और शहरीकरण : पारिस्थितिकी पर दबाव बढ़ा रहा है।
  4. भूस्खलन और बाढ़ : बार-बार आपदा की स्थितियाँ उत्पन्न हो रही हैं।

यदि इन चुनौतियों को समय रहते नहीं रोका गया तो हिमालय का भविष्य ही नहीं, बल्कि मानव जीवन पर भी संकट आ सकता है।

हिमालय दिवस मनाने का उद्देश्य

हिमालय दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है ताकि—

  • पर्यावरण संतुलन बनाए रखा जा सके,
  • हिमालयी संसाधनों का संरक्षण हो,
  • स्थानीय समुदायों को उनके अधिकार मिलें,
  • आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित और स्वच्छ पर्यावरण मिले।

हमारी जिम्मेदारी

हिमालय की रक्षा केवल सरकार या संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सभी का कर्तव्य है। प्लास्टिक का उपयोग कम करना, वनों की सुरक्षा करना, अनियंत्रित निर्माण कार्यों पर रोक लगाना, नदियों को प्रदूषण से बचाना और सतत् पर्यटन को बढ़ावा देना हम सबका दायित्व है।

निष्कर्ष

हिमालय केवल एक पर्वत श्रृंखला नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और अस्तित्व का आधार है। हिमालय दिवस हमें यह संकल्प दिलाता है कि हम सब मिलकर इस अनमोल धरोहर की रक्षा करेंगे। यदि हिमालय सुरक्षित है तो हमारा भविष्य सुरक्षित है।

✍️ परिवर्तन चक्र समाचार सेवा 



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