ग्रामीण भारत की आंखों की रोशनी : अखंड ज्योति नेत्र चिकित्सालय, मस्तीचक (छपरा, बिहार)

छपरा (बिहार)। छपरा जिले के मस्तीचक गाँव में स्थित अखंड ज्योति नेत्र चिकित्सालय आज सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़ा नेत्र-चिकित्सा केंद्र बन चुका है। ग्रामीण भारत की गरीब और वंचित जनता के लिए यह अस्पताल दृष्टि बहाली का सबसे बड़ा सहारा साबित हो रहा है।

स्थापना और उद्देश्य

अस्पताल की स्थापना वर्ष 2005 में स्वपंडित रमेश चंद्र शुक्ला ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत के गरीब, वंचित और अशिक्षित लोगों को नि:शुल्क अथवा सस्ती नेत्र-चिकित्सा उपलब्ध कराना है। यहां सिर्फ आंखों का इलाज ही नहीं होता, बल्कि मरीजों की जिंदगी में नई रोशनी लाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाता है।

अस्पताल की प्रमुख खूबियाँ

  • एशिया का सबसे बड़ा नेत्र चिकित्सालय : 500 से अधिक बिस्तरों की क्षमता, अत्याधुनिक उपकरण और रोजाना हजारों मरीजों का इलाज।
  • नि:शुल्क और रियायती इलाज : गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले मरीजों को मुफ्त या बहुत कम शुल्क में ऑपरेशन।
  • मोतियाबिंद ऑपरेशन में विशेष पहचान : हर साल लाखों ऑपरेशन, अब तक 25 लाख से अधिक मरीजों का सफल इलाज और 2.5 लाख से ज्यादा नि:शुल्क ऑपरेशन।
  • महिला सशक्तिकरण मॉडल : “Vision for a Brighter Future” के तहत ग्रामीण गरीब लड़कियों को पढ़ाई, ट्रेनिंग और रोजगार देकर नेत्र नर्स व तकनीशियन बनाया जाता है।
  • अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ डॉक्टर : अंतरराष्ट्रीय स्तर की मशीनें और प्रशिक्षित डॉक्टरों की टीम।
  • सामाजिक प्रभाव : लाखों ग्रामीणों की जिंदगी बदली, लोग फिर से काम करने लगे, बच्चों की पढ़ाई संभव हुई। संस्था का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक बिहार और पूर्वी भारत से अंधत्व समाप्त करना।

निष्कर्ष

अखंड ज्योति नेत्र चिकित्सालय सिर्फ एक अस्पताल नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है। यह संस्थान उम्मीद और रोशनी का प्रतीक बन चुका है, जिसने साबित किया है कि सही दिशा, निःस्वार्थ सेवा और आधुनिक तकनीक से लाखों लोगों की जिंदगी में नया प्रकाश फैलाया जा सकता है।

👉 यही कारण है कि इसे बिहार ही नहीं, पूरे भारत की आंखों की रोशनी का मंदिर कहा जाता है।


Post a Comment

0 Comments