चाणक्य नीति : करियर में पाना चाहते हैं सफलता तो याद रखें चाणक्य नीति की ये 5 बातें


आचार्य चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति साफ-सफाई नहीं रखता और गंदे कपड़े पहनता है, उस पर भी मां लक्ष्मी कृपा कभी नहीं होती।

कुशल रणनीतिकार और अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य की नीतियों ने हमेशा ही समाज का मार्गदर्शन किया है। कौटिल्य के नाम से प्रसिद्ध आचार्य चाणक्य को लगभग सभी विषयों की गहराई से समझ थी, इसलिए उन्होंने अपने जीवन में कई किताबें भी लिखी हैं। हालांकि उनका नीति शास्त्र बेहद ही उपयोगी ग्रंथ माना जाता है, क्योंकि इसमें जिंदगी से जुड़े तमाम पहलुओं के बारे में बताया गया है।

आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में धर्म, विद्या, पति-पत्नी, धन-दौलत और करियर समेत सभी विषयों के बारे में बताया है। चाणक्य जी के अनुसार इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर व्यक्ति अपने करियर में सफलता पाना चाहता है, तो उन्हें इन पांच बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। जानिये कौन-सी हैं वह पांच बातें-

ईमानदारी और अनुशासन : आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता पाना चाहता है तो उसे अपने काम के प्रति हमेशा ईमानदार और अनुशासित होना चाहिए। चाणक्य जी के अनुसार अगर आपके जीवन में अनुशासन नहीं है तो आप सफलता हासिल नहीं कर सकते। इसलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखें की सफलता पाने के लिए अनुशासन का होना बेहद ही जरूरी है।

अच्छा व्यवहार : आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति अगर अपने जीवन में सफलता पाना चाहता है तो उसे अपना व्यवहार हमेशा अच्छा रखना चाहिए। चाणक्य जी का मानना है कि जो लोग बातों के धनी होते हैं, वह हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर लेते हैं। इसलिए मनुष्य को हमेशा मीठे बोल बोलने चाहिए और अच्छा व्यवहार रखना चाहिए।

जोखिम उठाने का साहस : व्यक्ति को अपने करियर में सफलता पाने के लिए हमेशा व्यापार में जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। चाणक्य जी का मानना है कि जो व्यक्ति हमेशा जोखिम लेने के लिए तैयार रहता है वह भविष्य में जल्दी सफलता प्राप्त करता है।

टीम वर्क : चाणक्य जी का मानना था कि व्यक्ति को कभी भी सफलता अकेले प्राप्त नहीं होती, उसमें हमेशा टीम के साथ काम करने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। क्योंकि सबको साथ लेकर चलने से हर काम अच्छी-तरह से संपन्न हो जाता है।

सामर्थ्य : आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को अपनी क्षमताओं के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए और हमेशा अपने सामर्थ्य के अनुसार ही काम करना चाहिए। अपनी क्षमता के बाहर काम करने से अक्सर नुकसान ही उठाना पड़ता है।



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