हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। हिंदुओं में भगवान शिव की पूजा और व्रत रखने का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत मुख्य रूप से हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत का श्रद्धा पूर्वक पालन करता है और व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
प्रत्येक महीने में 2 त्रयोदशी तिथियां होती हैं और पूरे साल में 24 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। जब यह तिथि सोमवार के दिन होती है तब इसे सोम प्रदोष कहा जाता है, जब यह व्रत शनिवार को होता है तब इसे शनि प्रदोष कहा जाता है और जब यह बृहस्पतिवार को होता है तब इसे गुरु प्रदोष कहा जाता है। आइए अयोध्या के जाने माने पंडित श्री राधे शरण शास्त्री जी से जानें दिसंबर के महीने में कब मनाया जाएगा पहला प्रदोष व्रत और इसका क्या महत्व है।
दिसंबर महीने के पहले प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त :
-त्रयोदशी तिथि के दिन पूरे श्रद्धा भाव से भगवान् शिव का माता पार्वती समेत पूजन किया जाता है। दिसंबर के महीने में प्रदोष व्रत 2 दिसंबर, गुरूवार के दिन रखा जाएगा।
-त्रयोदशी तिथि आरंभ -1 दिसंबर, बुधवार को रात्रि 11 बजकर 35 मिनट से
-त्रयोदशी तिथि समाप्त - 2 दिसंबर, गुरूवार को रात्रि 8 बजकर 26 मिनट तक
-2 दिसंबर को प्रदोष काल प्राप्त हो रहा है इसलिए इसी दिन प्रदोष व्रत रखना लाभकारी होगा।
-यह व्रत गुरूवार के दिन होगा इसलिए इसे गुरु प्रदोष कहा जाएगा।
दिसंबर के गुरु प्रदोष व्रत का महत्व :
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