आधुनिक दौर में टोडरमल की तरह याद किए जाते हैं डॉ. मनमोहन सिंह

 


26 सितम्बर जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई :-

जिस तरह अकबर के नवरत्नो में से एक राजा टोडरमल ने बडी विषम परिस्थितियों में अपने जीवन की शुरुआत एक लेखक के रूप मे की  बाद मे शेरशाह सूरी और सम्राट अकबर के शासनकाल में विभिन्न पदो पर कार्य करते हुए अपनी सेवाएं दी। उसी तरह डाक्टर मनमोहन सिंह ने बड़ी विषम परिस्थितियों में शिक्षा ग्रहण की और अपने जीवन की शुरुआत अध्ययन और अध्यापन से की। जिस तरह राजा टोडरमल को भारतीय इतिहास में मुख्य रूप से अकबर के शासनकाल में अपनी अनूठी राजस्व प्रणाली और राजस्व सुधार के लिए जाना जाता है उसी तरह वैश्विक क्षितिज पर अपनी आर्थिक समझदारी और मर्मज्ञता का  परचम फहराने वाले डाक्टर मनमोहन सिंह को भारत में नब्बे के दशक में आर्थिक सुधारों के लिए जाना जाता है। अपने पूरे जीवन काल में शांत, सहज, सरल और सौम्य रहने वाले डाक्टर मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में  ऐतिहासिक और क्राँतिकारी कार्य किये। जब देश मण्डल कमण्डल की आग में जल रहा था और अर्थवयवस्था लगभग चौपट हो चुकी थी तब डांकटर मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री की हैसियत से अपने अर्थशास्त्रीय कौशल और कुशाग्रता  परिचय देते हुए भारतीय अर्थवयवस्था को नई गति और स्फूर्ति प्रदान की। व्यक्तित्व में कर्मठ्ता और स्वभाव में विनम्रता रखने वाले डॉ मनमोहन सिंह ने जिस प्रतिबद्धता और ईमानदारी से आर्थिक सुधारों को लागू किया उसके परिणाम महज दो-तीन वर्षों में दिखाई देने लगे। डॉ मनमोहन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलती वैश्विक परिस्थितियों के अनुरूप रचने गढ़ने में अभूतपूर्व कुशाग्रता और समझदारी का परिचय दिया। नब्बे के दशक में डाॅ  मनमोहन सिंह भारतीय अर्थत्ंत्र को जो नया कलेवर और तेवर दिया उससे भारतीय उद्योग जगत में अभूतपूर्व साहस देखने को मिला।भारतीय उद्योग जगत में आए इस साहस का ही परिणाम था कि-भारत के औद्योगिक प्रतिष्ठानों के विज्ञापनों " कर लो दूनियाँ मुट्ठी में "जैसे स्लोगन गूँजने लगे। मनमोहन सिंह ने निहायत गरीबी और गुरूबत में शिक्षा दीक्षा पूरी की। भारत विभाजन के जख्म से पीड़ित और अपनी भूमि से विस्थापित एक सिक्ख पिता ने मूंगफली और फल सब्जी बेचकर मनमोहन सिंह को पढाया लिखाया परन्तु मनमोहन सिंह ने यह बात कही भी कभी भी दूनियाँ को नहीं बताई और ना तो कभी अपनी गरीबी की ब्रांडिंग की।

2008 में जब पूरी दुनिया अर्थिक मन्दी का सामना कर रही थी और अमेरिका जैसे देशो के नामी गिरामी बैक दिवालिया हो रहे थे,लेह्मान ब्रदर्स, वाशिंगटन डीसी, स्टेनले मोरले जैसे दर्जनों बैको पर ताले लग चुके थे। अर्थव्यवस्था के वैश्विक संकट के इस दौर में भी आवश्यकता के अनुकूल  नपा-तुला बोलने वाले मनमोहन सिंह ने अभूतपूर्व कौशल और समझदारी का परिचय देते हुए भारतीय अर्थवयवस्था पर तनिक भी आँच नहीं आने दिया और गली-कूचे के छोटे से छोटे बैंक पर ताला नहीं लगने दिया। देश के सुप्रसिद्ध पत्रकार और स्तम्भकार अरूण शौरी के अनुसार देश डाक्टर मनमोहन सिंह को लम्बे समय तक याद करेगा। भारत के इस अद्वितीय  अर्थशास्त्री, वित्त मंत्री की हैसियत से आर्थिक सुधारों के प्रणेता के रूप विख्यात, सादगी के साथ ईमानदारी की प्रति मूर्ति पूर्व प्रधानमंत्री को उनके  जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।


मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता 

बापू स्मारक इंटर कांलेज दरगाह मऊ।

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