स्वदेशी की शक्ति – आत्मनिर्भर भारत की दिशा


स्वदेशी दिवस भारतीय आत्मसम्मान, आर्थिक स्वतंत्रता और राष्ट्रभक्ति की उस अमर धारा का प्रतीक है जिसने देश को स्वतंत्रता की राह पर अग्रसर किया और आज भी आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की सबसे मजबूत नींव बनी हुई है। यह दिवस केवल एक ऐतिहासिक स्मरण नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए जागरूकता का संदेश है कि यदि राष्ट्र को मजबूत बनाना है तो स्वदेशी रास्ता ही सबसे सुरक्षित और स्थायी मार्ग है।

स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत 1905 के बंग-भंग के विरोध के साथ हुई, जब पूरे देश ने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार कर स्थानीय उत्पादों का समर्थन किया। महात्मा गांधी ने स्वदेशी को स्वतंत्रता का प्रमुख हथियार बनाया और चरखे को प्रतीक बनाकर जनसाधारण को आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया। स्वदेशी मात्र आर्थिक नीति नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और स्वालंबन की लोकधारा है, जिसने भारतीय समाज को अपनी जड़ों से जोड़कर एकता और जागरण की भावना को मजबूत किया।

आज, 21वीं सदी का भारत विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में उभर रहा है। ऐसे समय में स्वदेशी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। स्वदेशी उत्पादों के उपयोग से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, छोटे व्यापारियों को सहारा मिलता है, कारीगरों का जीवन संवरता है और गांव की अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। स्थानीय उत्पादन और स्थानीय बाजार का विकास, आत्मनिर्भर भारत अभियान की रीढ़ है।

वैश्वीकरण के इस युग में जहां विदेशी वस्तुएँ आसानी से उपलब्ध हैं, वहीं स्वदेशी हमें यह याद दिलाता है कि देश का धन देश में रहे, उसकी आर्थिक शक्ति भीतर से बढ़े और उत्पादन की प्रक्रिया में देश के युवा, मजदूर, किसान, कारीगर और छोटे उद्यमी भी समृद्ध हों। स्वदेशी अपनाना केवल वस्तुएं खरीदने का विकल्प नहीं, बल्कि यह राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने की सोच है।

आज का स्वदेशी केवल खादी या हाथकरघा तक सीमित नहीं है; बल्कि टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप, कृषि, हस्तशिल्प, मेडिकल उपकरण, डिजिटल प्लेटफॉर्म, मशीनरी, रक्षा उत्पादन—हर क्षेत्र में “मेड इन इंडिया” की भावना तेजी से बढ़ रही है। यह परिवर्तन आत्मनिर्भर भारत की नई दिशा और विश्व के सामने भारत की बढ़ती क्षमता का प्रमाण है।

स्वदेशी दिवस हमें यह संदेश देता है कि राष्ट्र के विकास में हम सभी की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। जब हम स्थानीय उत्पाद खरीदते हैं, तो हम किसी एक उद्योग को नहीं बल्कि हजारों परिवारों की आजीविका को समर्थन देते हैं। हर स्वदेशी कदम देश की आर्थिक आजादी को मजबूत करता है और भारत को वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित करता है।

अंत में, इस स्वदेशी दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि—हम स्वदेशी अपनाएँगे, स्थानीय उद्योगों को प्राथमिकता देंगे और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपनी भूमिका को गर्व के साथ निभाएँगे।

परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️ 




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