अधिवक्ता दिवस पर विशेष : न्याय, जिम्मेदारी और लोकतंत्र के प्रहरी


अधिवक्ता दिवस न्यायपालिका के उस सशक्त स्तंभ को सम्मान देने का अवसर है, जो समाज में कानून, अधिकार और न्याय की लड़ाई का प्रमुख प्रहरी होता है। अधिवक्ता केवल एक पेशेवर व्यक्तित्व नहीं, बल्कि संविधान के संरक्षक, आम जनता की आवाज़ और न्यायिक व्यवस्था के अनिवार्य सहयोगी होते हैं। भारत में यह दिवस प्रख्यात विधिवेत्ता और पूर्व केंद्रीय विधि मंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर की जयंती पर मनाया जाता है, जिनका योगदान भारतीय विधि व्यवस्था को आधुनिक और पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण रहा है।

किसी भी व्यक्ति को जब न्याय की उम्मीद दिखाई देती है, तो वह सबसे पहले अधिवक्ता के पास ही पहुंचता है। वकील ही वह माध्यम है, जो कानून की जटिलताओं को सरल बनाकर न्यायालय तक पहुंचाने का काम करता है। वे न्यायालय और आम समाज के बीच सेतु हैं। एक सक्षम अधिवक्ता केवल मजबूत दलीलें ही नहीं देता, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को भी समझता है।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अधिवक्ताओं की भूमिका अतुलनीय रही है। महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव आंबेडकर सहित अनेक महान नेता वकील थे, जिन्होंने न सिर्फ अदालतों में न्याय की मशाल जलाई, बल्कि सड़कों पर संघर्ष का नेतृत्व भी किया। स्वतंत्र भारत में अधिवक्ताओं ने संविधान निर्माण, विधि सुधार और मानवाधिकारों की सुरक्षा में भी ऐतिहासिक योगदान दिया।

आज तकनीक और डिजिटल युग में अधिवक्ताओं के सामने नई चुनौतियाँ हैं—ऑनलाइन सुनवाई, साइबर अपराध, डिजिटल दस्तावेज़ीकरण और जटिल कानूनी प्रक्रियाएँ। इन परिस्थितियों में भी अधिवक्ता व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में निरंतर सक्रिय हैं। वकालत केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि नैतिकता, ईमानदारी और जिम्मेदारी का आजीवन संकल्प है।

अधिवक्ता दिवस युवाओं को भी प्रेरित करता है कि वे कानून का अध्ययन केवल करियर के रूप में नहीं, बल्कि समाज सेवा और न्याय की रक्षा के एक बड़े दायित्व के रूप में देखें। एक अधिवक्ता की भूमिका कोर्टरूम के बाहर भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है—समाज में उसके व्यवहार, भाषा और कर्तव्यनिष्ठा से न्यायिक विश्वास मजबूत होता है।

अधिवक्ता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि न्याय की हर जीत के पीछे अधिवक्ता की मेहनत, तैयारी, संघर्ष और सत्य के प्रति दृढ़ता होती है। समाज को न्याय दिलाने की इस निरंतर यात्रा में अधिवक्ताओं की भूमिका सदैव सम्मान की पात्र है। आज का यह दिवस उन सभी वकीलों को समर्पित है जो अपनी प्रतिभा, परिश्रम और कर्तव्यनिष्ठा से न्याय व्यवस्था को सशक्त बना रहे हैं।


डॉ. निर्भय नारायण सिंह, एडवोकेट✍️ 

पूर्व अध्यक्ष, फौजदारी अधिवक्ता संघ, बलिया (उ.प्र.)





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