बलिया की अस्मिता पर सवाल—एक मंत्री का बयान और जनता का आत्मसम्मान


बलिया। उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद द्वारा बलिया के लोगों को “अंग्रेजों के दलाल” बताने वाले बयान पर कड़ा विरोध जताते हुए समाजसेवी श्री धीरेन्द्र प्रताप सिंह, सहतवार (बलिया) ने कहा है कि यह वक्तव्य न केवल तथ्यहीन है, बल्कि बलिया की गौरवशाली ऐतिहासिक पहचान का घोर अपमान भी है। उन्होंने कहा कि बलिया की धरती स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई करने वाली भूमि रही है, जहाँ 1857 के नायक मंगल पांडेय से लेकर 1942 में स्वतंत्र बलिया सरकार की स्थापना तक इस जिले ने हमेशा अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंका।

इसी धरती पर ऐसे अनगिनत सेनानी हुए, जिनमें सेनानी बाबा ठाकुर महेश्वर सिंह जैसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी शामिल रहे हैं, जिन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ अदम्य साहस और बलिदान का परिचय दिया। ऐसी वीरभूमि के लोगों को ‘दलाल’ कहना स्वतंत्रता आंदोलन के अमर सेनानियों की स्मृति पर सीधी चोट है।

श्री सिंह ने कहा कि बलिया के लोग सादगी, ईमानदारी, राष्ट्रभक्ति और संघर्ष की अपनी परंपरा के लिए जाने जाते हैं। देश की रक्षा, प्रशासन और सामाजिक सेवा में बलिया के हजारों युवा महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। ऐसे में पूरे जिले की छवि धूमिल करने वाला यह बयान किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि मंत्री संजय निषाद का यह वक्तव्य जनप्रतिनिधि के पद की मर्यादा के विपरीत है और इससे जनता की भावनाएं गंभीर रूप से आहत हुई हैं।

समाजसेवी श्री धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने स्पष्ट कहा कि बलिया की जनता शांत जरूर है, लेकिन अपमान कभी बर्दाश्त नहीं करती। आज जिले का हर नागरिक आहत है और मंत्री महोदय से अपेक्षा है कि वे बिना विलंब अपने बयान पर पुनर्विचार करते हुए सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगें। यह केवल बलिया की प्रतिष्ठा का नहीं, बल्कि उन अमर सेनानियों के सम्मान का प्रश्न है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर इस भूमि को गौरव प्रदान किया।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च होती है और उसके सम्मान से खिलवाड़ किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा। बलिया की अस्मिता और स्वाभिमान की रक्षा के लिए मंत्री संजय निषाद को तुरंत माफी मांगनी चाहिए, यही जनता की मांग है और यही न्यायोचित भी।



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