भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती देशभर में बड़े सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। 14 नवम्बर 1889 को प्रयागराज में जन्मे नेहरूजी न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ थे, बल्कि एक ऐसे दूरदर्शी नेता भी थे, जिन्होंने स्वतंत्र भारत के निर्माण के लिए आधुनिक, वैज्ञानिक और उदार सोच की मजबूत नींव रखी। उनकी जयंती पर उन्हें याद करना, उनके कार्यों, विचारों और आदर्शों को पुनः समझने का अवसर है।
नेहरूजी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन के अनेक वर्ष जेलों में बिताए। लेकिन जेल की चारदीवारी भी उनके मनोबल को तोड़ न सकी। वहां उन्होंने आत्मचिंतन, अध्ययन और लेखन को अपना साथी बनाया। दुनिया भर के इतिहास, संस्कृति, विज्ञान, साहित्य और राजनीति पर उनकी गहरी पकड़ ने उन्हें एक विश्व-स्तरीय विचारक के रूप में स्थापित किया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनकी भूमिका प्रेरणादायी और निर्णायक रही।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब देश तमाम चुनौतियों, गरीबी, अशिक्षा और अविकसितता से जूझ रहा था, तब नेहरूजी ने आधुनिक भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने वैज्ञानिक शोध, उद्योग, शिक्षा, तकनीक और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मज़बूत आधार प्रदान किया। आईआईटी, भाभा अणु अनुसंधान केंद्र, इसरो जैसी संस्थाओं की नींव उसी दृष्टि से रखी गई, जिसने आगे चलकर भारत को विश्व में अग्रणी स्थान दिलाया। नेहरूजी मानते थे कि "विज्ञान ही भविष्य की भाषा है" — और उनके इस विश्वास ने भारत को वैज्ञानिक युग की ओर अग्रसर किया।
नेहरूजी का भारत सिर्फ आर्थिक या राजनीतिक रूप से मजबूत देश नहीं, बल्कि एक ऐसा राष्ट्र था जो विविधता, समानता, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के मूल्यों पर टिका हो। वह भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति, बहुलता, और मानवतावाद के बड़े समर्थक थे। उन्होंने हमेशा कहा कि भारत की असली शक्ति इसकी जनता की एकता और विविधता में निहित है।
पंडित नेहरू बच्चों से विशेष स्नेह रखते थे। उनके इसी प्रेम के कारण बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के नाम से पुकारते थे और उनकी जयंती को पूरे देश में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। नेहरू का मानना था कि “बच्चे देश की सबसे बड़ी पूंजी हैं”—और उनकी शिक्षा, सुरक्षा और खुशहाली ही राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला है।
उनकी पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ग्लिम्प्सेस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री और लेटर्स फ्रॉम ए यंग इंडियन आज भी ज्ञान, इतिहास और विचारधारा का अमूल्य स्रोत मानी जाती हैं। नेहरूजी का व्यक्तित्व चिंतन, नवीनीकरण और प्रगतिशीलता का प्रतीक था।
उनकी जयंती पर हम सभी को उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग—लोकतंत्र की रक्षा, शिक्षा का प्रसार, वैज्ञानिक नजरिया, सामाजिक समरसता और विकास के संकल्प—को फिर से अपनाने की जरूरत है। उनके सपनों का भारत वही होगा जिसमें हर नागरिक को अवसर मिले, हर बच्चे को शिक्षा मिले और हर हाथ को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार।
आज नेहरूजी को याद करना मात्र एक औपचारिकता नहीं, बल्कि आधुनिक भारत की मूल भावना को फिर से जगाने का आह्वान है। उनकी दूरदर्शिता और आदर्श हमें यह प्रेरणा देते हैं कि राष्ट्र निर्माण सतत प्रयास, पारदर्शिता, समर्पण और प्रगतिशील सोच से ही संभव है।


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