हर वर्ष 8 नवम्बर को विश्व शहरीकरण दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य तेजी से बढ़ते शहरीकरण के बीच संतुलित, टिकाऊ और मानव-केंद्रित शहरी विकास की आवश्यकता पर बल देना है। आज दुनिया की आधी से अधिक आबादी शहरों में बस चुकी है और अनुमान है कि आने वाले दशकों में यह संख्या और भी बढ़ेगी। ऐसे में शहरों का विस्तार केवल इमारतों और सड़कों तक सीमित न रहे, बल्कि सामाजिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक संतुलन के साथ हो — यही इस दिवस का मूल संदेश है।
शहरीकरण अपने आप में प्रगति का प्रतीक है, क्योंकि शहर रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और बेहतर जीवन स्तर के अवसर प्रदान करते हैं। लेकिन अनियोजित शहरीकरण आज एक बड़ी चुनौती बन चुका है। यातायात जाम, प्रदूषण, आवास की कमी, जल संकट और असमान विकास इसकी प्रमुख समस्याएं हैं। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि नगर नियोजन को केवल भवन निर्माण नहीं, बल्कि जीवन निर्माण की प्रक्रिया माना जाए।
भारत जैसे विकासशील देश में शहरीकरण की गति तीव्र है। प्रधानमंत्री आवास योजना, स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत योजना और स्वच्छ भारत मिशन जैसी पहलें शहरों को अधिक समावेशी, स्वच्छ और रहने योग्य बनाने की दिशा में कदम हैं। लेकिन सफलता तभी संभव है जब नागरिक भी जिम्मेदारी निभाएं — जल संरक्षण करें, हरियाली बढ़ाएं, सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें और शहर को सुंदर व सुरक्षित बनाए रखने में सहभागी बनें।
शहर केवल कंक्रीट की दीवारें नहीं होते, वे संस्कृति, संवेदना और सामूहिकता के प्रतीक होते हैं। विश्व शहरीकरण दिवस हमें यह सोचने का अवसर देता है कि हम किस प्रकार अपने शहरों को रहने योग्य, हरित और मानव-मित्र बना सकते हैं। संतुलित विकास और सुविचारित नगर नियोजन से ही “स्मार्ट सिटी” का सपना एक “स्मार्ट समाज” का रूप ले सकता है।
परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️


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