हर वर्ष 3 नवम्बर को राष्ट्रीय गृहिणी दिवस मनाया जाता है। यह दिन उन महिलाओं के समर्पण, त्याग और अदृश्य परिश्रम को सम्मान देने का अवसर है, जो पूरे परिवार के सुख-दुख, व्यवस्था और स्नेह की धुरी होती हैं। गृहिणी केवल घर संभालने वाली महिला नहीं, बल्कि वह घर की रीढ़, परिवार की भावनात्मक शक्ति और समाज की सच्ची निर्माता होती है।
गृहिणी का दिन सुबह से रात तक निरंतर जिम्मेदारियों से भरा रहता है — भोजन बनाना, बच्चों की देखभाल, परिवार का बजट संभालना, बुजुर्गों की सेवा और हर सदस्य की जरूरतों का ध्यान रखना। वह बिना किसी अपेक्षा के सबके जीवन को सहज और सुखद बनाती है। घर को घर बनाने में उसका योगदान अमूल्य है।
आज के दौर में जब महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, वहीं गृहिणी की भूमिका को भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए। परिवार की समरसता, बच्चों के संस्कार और घर की आर्थिक संतुलन के पीछे गृहिणी की बुद्धिमत्ता और त्याग छिपा होता है।
समाज का यह दायित्व है कि वह गृहिणियों के परिश्रम को “स्वाभाविक” न माने, बल्कि उसे उचित सम्मान दे। परिवार के हर सदस्य को चाहिए कि वे घर के कामों में सहयोग करें और गृहिणियों को आत्मविकास के अवसर प्रदान करें।
राष्ट्रीय गृहिणी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि एक गृहिणी केवल घर नहीं संभालती, बल्कि वह समाज के भविष्य की नींव रखती है। यह दिन हर उस महिला को धन्यवाद कहने का है, जो अपने त्याग, धैर्य और प्रेम से जीवन को सुंदर बनाती है।
परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️


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