अंतरराष्ट्रीय छात्र दिवस हर वर्ष 17 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिवस केवल छात्रों के अधिकारों और उनके संघर्षों की याद भर नहीं दिलाता, बल्कि शिक्षा की स्वतंत्रता, युवाओं के साहस, नवाचार और विश्व में शांति व परिवर्तन की उनकी भूमिका को भी सम्मान देता है। यह दिन हमें यह समझने का अवसर देता है कि किसी भी देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी के हाथों में होता है, और शिक्षा ही वह शक्ति है जो उन्हें बेहतर समाज और सशक्त राष्ट्र निर्माण के योग्य बनाती है।
अंतरराष्ट्रीय छात्र दिवस की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के समय हुई। वर्ष 1939 में नाजी शासन के खिलाफ चेक छात्रों ने जिस अद्भुत साहस और आवाज़ उठाई, उसी घटना की स्मृति में इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाया जाने लगा। इस ऐतिहासिक संघर्ष ने दुनिया को यह संदेश दिया कि छात्र केवल शिक्षा के वाहक ही नहीं, बल्कि न्याय, लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के मजबूत स्तंभ भी हैं। आज भी दुनिया भर के छात्र शिक्षा, समान अधिकार, जलवायु संरक्षण, सामाजिक सुधार और वैज्ञानिक प्रगति जैसे विषयों पर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।
21वीं सदी का छात्र अत्यंत जागरूक, तकनीकी रूप से सक्षम और वैश्विक सोच रखने वाला है। डिजिटल प्लेटफॉर्म और आधुनिक तकनीक ने सीखने की परिभाषा को ही बदल दिया है। आज छात्र केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं, बल्कि दुनिया के हर कोने से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षा, वर्चुअल कक्षाएं, स्मार्ट लर्निंग, स्टार्टअप संस्कृति और कौशल आधारित शिक्षा ने युवाओं को नए अवसर और नई दिशा प्रदान की है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय छात्र दिवस आज नवाचार, रचनात्मकता और आधुनिक शिक्षा प्रणाली को आगे बढ़ाने का प्रतीक बन चुका है।
इस अवसर पर हमें उन चुनौतियों पर भी ध्यान देना चाहिए जो आज की युवा पीढ़ी के सामने हैं—गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता, आर्थिक विषमता, मानसिक स्वास्थ्य, नशे की प्रवृत्ति, बेरोजगारी, साइबर जोखिम और सामाजिक दबाव। इन सभी चुनौतियों का समाधान शिक्षकों, अभिभावकों, सरकार तथा समाज सभी को मिलकर करना होगा। छात्र केवल पढ़ने वाले नहीं, बल्कि संवेदनशील मन, नई सोच और नए सपनों के वाहक हैं। उन्हें सही दिशा, उचित अवसर और सुरक्षित वातावरण देना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
भारत जैसे युवा राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय छात्र दिवस का महत्व और भी बढ़ जाता है। यहां देश की लगभग आधी आबादी युवा है, जिनमें अपार ऊर्जा, प्रतिभा और क्षमता छुपी हुई है। शिक्षा के माध्यम से यही युवा भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिला सकते हैं। “सबके लिए शिक्षा”, “डिजिटल इंडिया”, “स्किल डेवलपमेंट”, “स्टार्टअप इंडिया” जैसी योजनाएं इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। आज जरूरत है कि छात्रों को केवल परीक्षा आधारित ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन कौशल, शोध, नवाचार, व्यक्तित्व विकास और नैतिक मूल्यों से भी परिपूर्ण किया जाए।
अंतरराष्ट्रीय छात्र दिवस हमें यह भी प्रेरित करता है कि शिक्षा केवल नौकरी पाने का साधन नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण, सोच का विकास और समाज को बेहतर बनाने का माध्यम है। छात्र जब जागरूक, जिम्मेदार और शिक्षित बनते हैं, तभी राष्ट्र सशक्त और विकसित बनता है। इसलिए हमें शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए प्रत्येक छात्र तक अवसर, संसाधन और समान अधिकार पहुंचाने होंगे।
इस विशेष दिवस पर हम सभी छात्रों के सपनों, उनकी मेहनत और बेहतर भविष्य की आकांक्षाओं को सलाम करते हैं। छात्र समाज का वर्तमान भी हैं और भविष्य भी। उनकी ऊर्जा, उनका उत्साह और उनका ज्ञान ही दुनिया को आगे बढ़ाने की शक्ति है।
अंतरराष्ट्रीय छात्र दिवस हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षा को स्वतंत्र, समान और सभी के लिए सुलभ बनाना मानवता का सबसे बड़ा कर्तव्य है।
डॉ. निर्भय नारायण सिंह, एडवोकेट✍️
पूर्व अध्यक्ष, फौजदारी अधिवक्ता संघ, बलिया (उ.प्र.)


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