राष्ट्रीय शिक्षा दिवस : शिक्षा से ही राष्ट्र का उत्थान


हर वर्ष 11 नवम्बर को पूरे देश में ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। मौलाना आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी योद्धाओं में से एक थे और उन्होंने स्वतंत्र भारत में शिक्षा के प्रसार, विज्ञान, संस्कृति और राष्ट्रीय एकता के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। उनके दूरदर्शी विचारों के कारण ही आज भारत एक शिक्षित, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र बनने की दिशा में निरंतर अग्रसर है।

मौलाना आज़ाद का मानना था कि शिक्षा ही किसी राष्ट्र की सबसे बड़ी पूंजी है उन्होंने कहा था कि “यदि हम शिक्षा की उपेक्षा करते हैं तो हमें अपने भविष्य से हाथ धोना पड़ेगा।” उनके कार्यकाल में देश में कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थानों की नींव रखी गई, जिनमें आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान), यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) और सेंट्रल एजुकेशन एडवाइजरी बोर्ड जैसे संस्थान प्रमुख हैं। उन्होंने न केवल प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण पर बल दिया, बल्कि तकनीकी और उच्च शिक्षा को भी देश की प्रगति का आधार माना।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि यह हमें शिक्षा के महत्व और उसकी शक्ति का स्मरण कराता है। आज के समय में जब तकनीकी क्रांति और डिजिटल युग हमारे चारों ओर फैल चुका है, तब शिक्षा को और भी व्यापक, सर्वसुलभ और गुणवत्तापूर्ण बनाने की आवश्यकता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य है — हर बच्चे तक समान अवसर के साथ ज्ञान पहुँचाना, स्किल डेवेलपमेंट को बढ़ावा देना और भारत को ‘ग्लोबल नॉलेज हब’ के रूप में स्थापित करना।

इस दिन विद्यालयों, महाविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में विभिन्न शैक्षणिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम, विचार गोष्ठियाँ, निबंध लेखन प्रतियोगिताएँ और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति रुचि और जिम्मेदारी की भावना जागृत करना होता है।

आज यह आवश्यक है कि हम मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की शिक्षण दृष्टि को अपनाएँ — शिक्षा केवल परीक्षा उत्तीर्ण करने का माध्यम नहीं, बल्कि मानवता, नैतिकता और राष्ट्रनिर्माण की सबसे सशक्त नींव है।

शिक्षा से ही समाज में जागरूकता आती है, विचारों में परिपक्वता आती है और राष्ट्र का निर्माण संभव होता है। अतः इस राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम शिक्षा को केवल अधिकार नहीं, बल्कि कर्तव्य के रूप में अपनाएँगे और अपने आस-पास के हर बच्चे तक शिक्षा का प्रकाश पहुँचाने में सहयोग करेंगे।

“शिक्षा ही वह दीपक है, जो अंधकार मिटाकर राष्ट्र को उजाले की ओर ले जाता है।”







धीरेन्द्र प्रताप सिंह ✍️ 

सहतवार, बलिया (उ.प्र.)

मो. नं. - +919454046303

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