राष्ट्रीय एकता के प्रतीक
31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में जन्मे वल्लभभाई पटेल ने जीवन के हर चरण में अदम्य साहस और अद्वितीय संगठन क्षमता का परिचय दिया। स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। वे महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे और खेड़ा तथा बारडोली सत्याग्रह के सफल नेतृत्व से किसानों के मसीहा बन गए। बारडोली में उनके संघर्ष और सफलता ने उन्हें “सरदार” की उपाधि दिलाई।
राज्यों का विलय : भारत के मानचित्र को गढ़ने वाला पुरुष
सरदार पटेल का भारत के लिए दृष्टिकोण
पटेल मानते थे कि देश की ताकत उसकी एकता और अनुशासन में है। वे शासन व्यवस्था में कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी को सर्वोपरि मानते थे। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) जैसी संस्थाओं के गठन में भी उनकी निर्णायक भूमिका थी। उन्होंने इन्हें भारत की “स्टील फ्रेम” कहा था—जो आज भी राष्ट्र की रीढ़ बनी हुई हैं।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी : उनकी अमर विरासत
2018 में नर्मदा तट पर स्थापित 182 मीटर ऊँची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ न केवल विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है, बल्कि भारत के उस अदम्य संकल्प का प्रतीक है, जो सरदार पटेल ने दिखाया था। यह प्रतिमा हर भारतीय को याद दिलाती है कि असली शक्ति एकजुट भारत में निहित है।
आज के भारत में सरदार पटेल की प्रासंगिकता
समापन
🕊️ “सरदार पटेल – एक व्यक्ति नहीं, विचार हैं, जो भारत को जोड़ते हैं।”
परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️


 
 
 
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