2019 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश
जस्टिस सूर्य कांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में हुआ। मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले जस्टिस कांत ने अपनी मेहनत और योग्यता से न्यायपालिका में विशिष्ट पहचान बनाई। वर्ष 2000 में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बने, 2004 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए। इसके बाद 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला।
उदार और संवेदनशील न्यायाधीश
जस्टिस सूर्य कांत अपने संतुलित, स्पष्ट और मानवीय दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। वे अदालत में वकीलों को पूरी बात रखने का अवसर देते हैं और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित पक्षकारों के प्रति उदार और सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखते हैं। वे अक्सर किसी परिवार सदस्य की तरह उनकी समस्याएं सुनते और समाधान सुझाते दिखाई देते हैं।
विवादों में भी दिखाई संयम की मिसाल
हाल ही में उन्होंने उदारता का परिचय देते हुए उस वकील के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करने से इनकार किया था, जिसने मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की ओर जूता उछाला था। उन्होंने कहा कि कोर्ट ऐसे व्यक्ति को “महत्व” नहीं देना चाहता।
कई अहम मामलों की सुनवाई की
जस्टिस सूर्य कांत ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण संवैधानिक और सामाजिक मामलों की सुनवाई की है। वर्तमान में वे बिहार SIR (मतदाता सूची पुनरीक्षण), शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद, अवैध घुसपैठियों का निष्कासन, और डिजिटल अरेस्ट जैसे संवेदनशील मामलों की सुनवाई कर रहे हैं।


 
 
 
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