लखनऊ। उत्तर प्रदेश में खाद्य सुरक्षा और जनकल्याण की तस्वीर अब बदलने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को बड़ा ऐलान करते हुए स्पष्ट किया कि जल्द ही कोटेदारी व्यवस्था इतिहास बन जाएगी और राशन पर मिलने वाली सब्सिडी की पूरी राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजी जाएगी। यह निर्णय न केवल पारदर्शिता को बढ़ाएगा, बल्कि गरीबों तक सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ भी पहुंचाएगा।
फर्जीवाड़े पर लगाम
योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही राशन व्यवस्था में सुधार की दिशा में बड़े कदम उठाए। सबसे पहले 30 लाख फर्जी राशन कार्ड रद्द कर दिए गए। यह कदम बताता है कि सरकार किस तरह से व्यवस्था को पारदर्शी और लाभार्थी-केंद्रित बनाने में जुटी है।
तकनीक से बचत और पारदर्शिता
वर्तमान में राज्य के 13 हजार कोटेदारों के यहां ई-प्वाइंट ऑफ सेल मशीनें (EPoS) लग चुकी हैं। इसके चलते हर साल लगभग 350 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि जब यह तकनीक सभी 80 हजार कोटेदारों पर लागू हो जाएगी तो सालाना लगभग 2000 करोड़ रुपये की बचत संभव होगी। यह रकम गरीबों और जरूरतमंदों के कल्याण में सीधे इस्तेमाल हो सकेगी।
भ्रष्टाचार पर सख्ती
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अब गरीबों के लिए भेजा गया अनाज खुले बाजार में बिकने नहीं दिया जाएगा। आधार से जुड़ी नई व्यवस्था ने न केवल पारदर्शिता बढ़ाई है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि सचमुच जरूरतमंद को ही राशन का लाभ मिले। अब लाभार्थी अपनी सुविधा और पसंद की दुकान से राशन प्राप्त कर सकते हैं।
“पोषण अभियान” से जुड़ा संदेश
लखनऊ के साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में “पोषण अभियान व सुपोषण स्वास्थ्य मेला” का शुभारंभ करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि तकनीक ही भ्रष्टाचार को समाप्त करने का सबसे बड़ा माध्यम है। सरकार का उद्देश्य है कि गरीब, वंचित और जरूरतमंद परिवारों को बिना किसी बिचौलिये और बिना कटौती के सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे मिल सके।
जनता के लिए बड़ा कदम
कोटेदारी व्यवस्था का अंत केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि गरीबों और जरूरतमंदों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। इससे जहां राज्य सरकार को हजारों करोड़ की बचत होगी, वहीं लाभार्थियों को यह भरोसा मिलेगा कि उनका हक अब सुरक्षित है और सीधे उनके हाथ में पहुंचेगा।
👉यह निर्णय योगी सरकार की उस नीति को दर्शाता है जिसमें “पारदर्शिता, तकनीक और जनकल्याण” को प्राथमिकता दी गई है।
धीरेन्द्र प्रताप सिंह ✍️
सहतवार, बलिया (उ.प्र.)



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