हर वर्ष सितंबर माह के दूसरे शनिवार को विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस (World First Aid Day) मनाया जाता है। यह दिवस हमें यह याद दिलाने के लिए है कि आपातकालीन स्थिति में तुरंत और सही समय पर दी गई प्राथमिक चिकित्सा किसी की जान बचाने में कितना महत्वपूर्ण योगदान कर सकती है।
प्राथमिक चिकित्सा क्यों है आवश्यक?
जीवन में कभी भी दुर्घटना, चोट, जलना, सड़क हादसा, डूबना, अचानक बेहोशी या दिल का दौरा जैसी आपात स्थिति आ सकती है। ऐसी परिस्थितियों में एम्बुलेंस या डॉक्टर तक पहुंचने से पहले यदि पीड़ित को सही तरीके से प्राथमिक चिकित्सा मिल जाए, तो उसकी जान बचाई जा सकती है या गंभीर चोट को बढ़ने से रोका जा सकता है।
प्राथमिक चिकित्सा के प्रमुख उद्देश्य
- जीवन की रक्षा करना – पीड़ित व्यक्ति की सांस, धड़कन और रक्तस्राव को नियंत्रित करना।
- चोट को बढ़ने से रोकना – जैसे खून रोकना, हड्डी की स्थिति स्थिर रखना, जलने पर ठंडे पानी से उपचार करना।
- सुधार की संभावना बढ़ाना – उचित देखभाल से पीड़ित की हालत स्थिर होती है और इलाज का असर बेहतर होता है।
प्राथमिक चिकित्सा के मूल मंत्र
- घबराएँ नहीं, शांत रहें और तुरंत स्थिति का आकलन करें।
- खून बहने पर साफ कपड़े या पट्टी से दबाव डालें।
- जलने की स्थिति में प्रभावित जगह को ठंडे पानी से धोएँ, कोई मलहम तुरंत न लगाएँ।
- बेहोश व्यक्ति की सांस और धड़कन की जाँच करें और आवश्यकता पड़ने पर सीपीआर (CPR) दें।
- हड्डी टूटने पर प्रभावित हिस्से को हिलाएँ नहीं, सहारा देकर स्थिर करें।
- तुरंत नजदीकी अस्पताल या चिकित्सक तक पहुँचाने का प्रयास करें।
समाज में जागरूकता की आवश्यकता
भारत जैसे विशाल देश में हर वर्ष लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं, हादसों और प्राकृतिक आपदाओं में घायल होते हैं। यदि आम जनता प्राथमिक चिकित्सा देना सीख ले, तो कई जानें बचाई जा सकती हैं। विद्यालयों, कॉलेजों, दफ्तरों और समाज के हर वर्ग में प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण जरूरी होना चाहिए।
निष्कर्ष
विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस हमें यह सीख देता है कि हर इंसान को प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान होना चाहिए। यह कोई डॉक्टर बनने की पढ़ाई नहीं, बल्कि इंसानियत निभाने का पहला कदम है। सही समय पर दी गई छोटी-सी मदद किसी के पूरे जीवन को बचा सकती है।
✍️ परिवर्तन चक्र समाचार सेवा


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