अटल बिहारी वाजपेयी : भारतीय राजनीति का अमर व्यक्तित्व


भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में यदि किसी नेता ने अपनी वाक्-कला, दूरदृष्टि, राष्ट्रीयता और उदार विचारधारा से करोड़ों लोगों के हृदय में विशेष स्थान बनाया, तो वह थे अटल बिहारी वाजपेयी। वे केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि कवि, विचारक, संवेदनशील व्यक्तित्व और आदर्श मानव थे। उनका जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण की गाथा है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा : अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी संस्कृत के शिक्षक थे और माता कृष्णा देवी धार्मिक व संस्कारी महिला थीं। प्रारंभ से ही अटल जी मेधावी और साहित्यप्रेमी थे। उन्होंने ग्वालियर और कानपुर से अपनी शिक्षा पूरी की और राजनीति विज्ञान एवं अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की।

राष्ट्रसेवा का मार्ग : अटल जी किशोरावस्था से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और देशभक्ति की भावना उनमें गहराई तक समाई। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई और राष्ट्रधर्म, पंचजन्य तथा स्वदेश जैसे पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कर राष्ट्रीय चेतना जगाई।

राजनीति में योगदान : 1951 में उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना में अहम भूमिका निभाई और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के करीबी सहयोगी रहे। 1957 में पहली बार वे लोकसभा सदस्य बने और अपनी ओजस्वी वाणी से संसद में विशेष पहचान बनाई। उनकी वाणी में तर्क, भावनाएँ और राष्ट्रहित की स्पष्टता होती थी। विपक्ष में रहकर भी उन्होंने ऐसा सम्मान अर्जित किया, जो कम ही नेताओं को प्राप्त होता है।

प्रधानमंत्री के रूप में : अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने—

  1. पहली बार 1996 में मात्र 13 दिनों के लिए।
  2. दूसरी बार 1998 में 13 महीने के लिए।
  3. तीसरी बार 1999 से 2004 तक पूर्ण कार्यकाल के लिए।

उनके नेतृत्व में भारत ने अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिए। 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण कर भारत को विश्व मानचित्र पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। उन्होंने ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास’ पर विशेष ध्यान दिया और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना व स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना जैसी योजनाएँ शुरू कीं, जिसने भारत के आर्थिक विकास की नींव को मजबूत किया।

दूरदर्शी राजनेता : अटल जी की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे राजनीति में भी विरोधियों का सम्मान करते थे। उनका कहना था— “हम दोस्त बना सकते हैं, दुश्मन नहीं।” पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए उन्होंने लाहौर बस यात्रा और आगरा शिखर वार्ता का प्रयास किया। उनके प्रयासों ने यह संदेश दिया कि भारत शांति चाहता है, लेकिन अपनी सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करेगा।

कवि और साहित्यकार : राजनीति के साथ-साथ अटल जी एक संवेदनशील कवि भी थे। उनकी कविताओं में राष्ट्रप्रेम, मानवीय संवेदनाएँ और जीवन का दर्शन झलकता है। कठिन परिस्थितियों में भी वे आशा और विश्वास का संदेश देते थे। उनकी कविताएँ आज भी लोगों को प्रेरणा देती हैं।

सम्मान और विरासत : भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। उन्हें ‘भारतीय राजनीति का भीष्म पितामह’ कहा जाता है। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हुआ, लेकिन वे आज भी अपनी कविताओं, विचारों और कार्यों के माध्यम से जीवित हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने राजनीति को सेवा का माध्यम बनाया। वे एक सच्चे लोकतांत्रिक नेता, कुशल वक्ता, राष्ट्रनायक और संवेदनशील कवि थे। उनकी राजनीति में आदर्शवाद और व्यवहारिकता का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता था। भारत सदैव उनके योगदान को स्मरण करता रहेगा।

✍️ परिवर्तन चक्र समाचार सेवा




Post a Comment

0 Comments