बलिया : कुंवर सिंह इंटर कॉलेज में प्रकृति, क्रांति व लोकरंग से गूंज उठी कवि गोष्ठी


*अंग्रेजों के दमन चक्र से बलिया का मन डोला था*

 *नहीं रहेंगे पराधीन हम बच्चा बच्चा बोला था*

बलिया। साहित्य चेतना समाज बलिया इकाई के तत्वावधान में शहर के कुंवर सिंह इंटर कॉलेज में पावस कवि गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी की शुरुआत मां सरस्वती प्रतिमा के समक्ष श्वेता पांडेय मिश्रा ने मां सरस्वती की वंदना से प्रारंभ की। तत्पश्चात उन्होंने योगेश्वर कृष्ण के उदात्त व्यक्तित्व को रेखांकित करती हुई रचना सुनाई। विजय मिश्र ने शादी विवाह के समारोह में प्रबल होते जा रहे पाखंड व फिजूल खर्ची पर व्यंग्य करते हुए प्रभावशाली रचना पढ़ी।

विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ शशी प्रेमदेव ने अपने मुक्तकों और शेरों के माध्यम से सम-सामयिक मुद्दों पर कटाक्ष करते हुए विसंगतियों को उजागर करते हुए सुनाया 'संभलकर तुम गले मिलना किसी से दिलों में इन दिनों नफरत बहुत है।' से कार्यक्रम को ऊंचाई दी।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ नवचंद्र तिवारी ने वर्षा ऋतु को उकरते हुए सावन-भादो बरस रहा है। मौसम सारा हरस रहा है एवं अगस्त क्रांति में बागी बलिया के योगदान का जीवंत चित्रण कर 'अंग्रेजों के दमन चक्र से बलिया का मन डोला था। नहीं रहेंगे पराधीन हम बच्चा-बच्चा बोला था' से वाहवाही लूटी। विंध्याचल सिंह ने गंवई जीवन को भोजपुरी कविता में उकेर सभी को भाव - विभोर कर दिया।

महाराष्ट्र से सम्मानित होकर लौटे युवा कवि श्वेतांक सिंह ने अपनी रचना में बाढ़ पीड़ितों की व्यथा करते हुए सुनाया कि 'कराहें जाग रही हैं। हंसी सहमी हुई है' से सभी की आंखें नम कर दी। पूर्व प्रधानाचार्य रामेश्वर सिंह ने अपनी छोटी-छोटी क्षणिकाओ द्वारा चुटकी से हास्य गंगा बहा दी। मशहूर शायर शंकर शरण काफिर ने अपनी जबरदस्त रूबाइयों व गजलों से तालियां बटोरीं। 

डॉ विश्राम यादव ने कृष्ण जन्माष्टमी के हवाले से अपने चिर परिचित शैली में नंद घरवा अइले भाव प्रवण गीत सुना कर सब को झूमने पर विवश कर दिया। डॉ फतेहचंद बेचैन ने देश के निमित्त कुर्बानी देने वालों की यादों में अपनी रचना पढ़कर ओज का एहसास कराया। नवोदित कवयित्री सुशीला पाल ने भी बाढ़-विभीषिका पर दोहे सुना कर व्यंग्य किया। 

अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री विजय मिश्रा ने किया। संचालन डॉ नवचंद्र तिवारी ने किया व आभार डॉ शशी प्रेमदेव ने किया।



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