भारत का इतिहास जितना गौरवशाली और प्रेरणादायी है, उतना ही कुछ क्षण ऐसे भी हैं जो दर्द, पीड़ा और मानवीय त्रासदी की याद दिलाते हैं। 14 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को जब भारत ने आज़ादी की सांस ली, उसी के साथ उपमहाद्वीप का विभाजन भी हुआ। यह विभाजन केवल भूगोल और राजनीति का नहीं, बल्कि करोड़ों दिलों का बंटवारा था। लाखों लोग अपने घर-बार, खेत-खलिहान, स्मृतियां और अपनों को छोड़कर अजनबी जमीनों की ओर निकल पड़े। इसी असहनीय त्रासदी को याद रखने और भविष्य में ऐसी विभीषिका से बचने के संकल्प के लिए भारत सरकार ने 14 अगस्त को “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
विभाजन का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य : 1947 में ब्रिटिश शासन से मुक्ति के साथ भारत का विभाजन दो राष्ट्रों – भारत और पाकिस्तान – के रूप में हुआ। इस बंटवारे की वजह से पंजाब और बंगाल को दो हिस्सों में बांट दिया गया। राजनीतिक निर्णयों, सांप्रदायिक तनाव और जल्दबाजी में खींची गई सीमा-रेखा (रेड क्लिफ लाइन) ने करोड़ों लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया।
मानव इतिहास का सबसे बड़ा पलायन : विभाजन के समय लगभग 1.5 करोड़ लोग अपनी जन्मभूमि छोड़कर नए राष्ट्र में बसने को मजबूर हुए। इनमें से कई पैदल, बैलगाड़ियों और भीड़भरी ट्रेनों में सफर कर रहे थे। रास्तों में हिंसा, लूटपाट और कत्लेआम के दृश्य आम हो गए थे। अनुमान है कि करीब 10 से 15 लाख लोग इस त्रासदी में अपनी जान गंवा बैठे। लाखों महिलाएं हिंसा और अमानवीय अत्याचार का शिकार हुईं।
स्मृति दिवस का महत्व : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में इसकी घोषणा करते हुए कहा था कि यह दिवस केवल अतीत की पीड़ा याद करने के लिए नहीं, बल्कि विभाजन के समय दिखी साहस, एकजुटता और मानवता की भावना को भी सम्मान देने के लिए है। यह दिन हमें बताता है कि नफरत, भेदभाव और हिंसा के रास्ते पर चलकर कोई भी समाज सुखी नहीं रह सकता।
आज की पीढ़ी के लिए संदेश :
- एकता और भाईचारा: हमें धर्म, भाषा, जाति या प्रांत के आधार पर नहीं, बल्कि भारतीय होने के नाते एक-दूसरे को अपनाना चाहिए।
- इतिहास से सीख: राजनीतिक मतभेद या सांप्रदायिक विभाजन, बड़े संकट का कारण बन सकते हैं।
- मानवीय संवेदनाएं: कठिन समय में एक-दूसरे की मदद ही इंसानियत का असली चेहरा है।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस सिर्फ अतीत का दर्द याद करने का अवसर नहीं, बल्कि यह भविष्य को बेहतर बनाने का संकल्प लेने का दिन है। हमें यह याद रखना होगा कि नफरत की आग केवल विनाश लाती है, जबकि प्रेम और एकजुटता ही सच्चे भारत की पहचान है। इस दिन हम उन लाखों शहीदों, विस्थापितों और पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने विभाजन की कीमत अपने खून और आंसुओं से चुकाई।
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