स्वतंत्रता दिवस : आज़ादी का पर्व, कर्तव्य का संकल्प


हर वर्ष 15 अगस्त का दिन हमारे लिए केवल एक तिथि नहीं, बल्कि गर्व, त्याग और बलिदान का प्रतीक है। 1947 में इसी दिन हमारे देश ने ब्रिटिश शासन की बेड़ियों को तोड़कर स्वतंत्रता प्राप्त की। यह आज़ादी हमें सहज रूप से नहीं मिली, बल्कि असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, संघर्ष और अटूट संकल्प का परिणाम है।

स्वतंत्रता दिवस हमें केवल अतीत की गौरवगाथा सुनाने के लिए नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की ज़िम्मेदारियों का एहसास कराने के लिए भी है। लाल किले से प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन, राष्ट्रीय ध्वज का फहराना, स्कूलों, संस्थानों और गलियों में गूंजते राष्ट्रगान — ये सब हमें एकता और देशभक्ति का संदेश देते हैं।

आज जब हम स्वतंत्र हैं, तो हमारा कर्तव्य है कि हम इस आज़ादी की रक्षा करें। जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र से ऊपर उठकर हमें एक सशक्त, विकसित और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है। स्वच्छता, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और समाज में समानता — ये वे मूल्य हैं जिन्हें अपनाकर हम स्वतंत्रता के सही अर्थ को जी सकते हैं।

स्वतंत्रता दिवस हमें याद दिलाता है कि आज़ादी केवल अधिकार नहीं, बल्कि कर्तव्य भी है। हम सभी को इस अमूल्य धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित पहुँचाने का संकल्प लेना चाहिए।

"आओ, हम सब मिलकर ऐसा भारत बनाएं, जिस पर आने वाली पीढ़ियाँ गर्व करें।"




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