हर वर्ष 12 अगस्त को विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1999 में घोषित किया गया था, जिसका उद्देश्य युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करना, उनके अधिकारों और अवसरों को बढ़ावा देना तथा समाज में उनके योगदान को सम्मानित करना है।
युवाओं की भूमिका : युवा किसी भी देश की सबसे बड़ी पूंजी और भविष्य की नींव होते हैं। उनकी ऊर्जा, नवाचार, सोच और साहस समाज को नई दिशा देते हैं। इतिहास गवाह है कि चाहे स्वतंत्रता संग्राम हो, विज्ञान और तकनीक का विकास हो या सामाजिक परिवर्तन की लहर—हर जगह युवा अग्रणी भूमिका में रहे हैं।
2025 का थीम : संयुक्त राष्ट्र हर साल इस दिवस के लिए एक खास थीम तय करता है। 2025 में इसका थीम है – “Youth Empowerment for Sustainable Future” (टिकाऊ भविष्य के लिए युवा सशक्तिकरण)। यह थीम इस बात पर जोर देती है कि यदि युवा शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और समान अवसरों से सशक्त होंगे, तो वे पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक न्याय और आर्थिक प्रगति में निर्णायक भूमिका निभा सकेंगे।
भारत में महत्व : भारत विश्व का सबसे युवा देश है, जहां लगभग 65% आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। यह हमारे लिए सुनहरा अवसर है, बशर्ते हम युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, रोजगार, उद्यमिता के अवसर और नैतिक मूल्यों की दिशा में मार्गदर्शन दे सकें।
युवा और चुनौतियां : आज का युवा कई चुनौतियों का सामना कर रहा है—बेरोज़गारी, मानसिक तनाव, नशाखोरी, सोशल मीडिया का दुरुपयोग, और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्याएं। इनसे निपटने के लिए सरकार, समाज, परिवार और स्वयं युवाओं को मिलकर काम करना होगा।
आगे की राह : युवा दिवस सिर्फ उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि आत्ममंथन का अवसर भी है। हमें यह सोचना होगा कि—
- क्या हम युवाओं को सही संसाधन और दिशा दे रहे हैं?
- क्या हमारे शिक्षा और कौशल विकास के प्रयास भविष्य की चुनौतियों के अनुकूल हैं?
- क्या हम अपने युवाओं को नेतृत्व, सेवा और नवाचार के अवसर दे रहे हैं?
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