श्रावण मास, जिसे सावन भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का पांचवां महीना है, जो आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन से प्रारंभ होकर भाद्रपद अमावस्या तक चलता है। यह मास भगवान शिव को समर्पित है, और इसकी प्रत्येक तिथि भक्ति, उपासना, संयम और तप का प्रतीक मानी जाती है।
श्रावण माह का वातावरण स्वयं में एक आध्यात्मिक अनुभूति का अनुभव कराता है—हर ओर हरियाली, वर्षा की ठंडी फुहारें, मंदिरों में घंटे-घड़ियाल की गूंज और "ॐ नमः शिवाय" के गूंजते स्वर इस माह को दिव्यता से परिपूर्ण कर देते हैं।
🔱 पौराणिक महत्व: शिव के कंठ में विष और श्रावण मास की शुरुआत
श्रावण मास का सबसे गहरा संबंध समुद्र मंथन की कथा से है। जब देवों और असुरों ने मिलकर क्षीर सागर का मंथन किया, तो सर्वप्रथम हलाहल विष निकला जिसने सम्पूर्ण सृष्टि को संकट में डाल दिया। उस विष को भगवान शिव ने अपनी करुणा और दायित्व भावना के कारण कंठ में धारण कर लिया। उसी समय से श्रद्धालु इस मास में भगवान शिव को जल चढ़ाकर उनके कंठ को शीतल करने का प्रयास करते हैं।
🕉️ श्रावण मास और भगवान शिव
भगवान शिव इस मास के अधिपति माने गए हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि—
"श्रावणे सर्वदा पुज्यो देवदेवो महेश्वरः।"अर्थात श्रावण में भगवान शिव की पूजा साक्षात फलदायी होती है।
श्रावण सोमवारी, इस मास की सबसे प्रमुख परंपरा है। हर सोमवार को व्रत रखकर शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित किए जाते हैं। श्रावण की 4 या 5 सोमवारियाँ भक्तों के लिए विशेष होती हैं।
🌸 श्रावण मास की प्रमुख धार्मिक विशेषताएँ
✅ व्रत का महत्व
इस मास में विशेष रूप से सोमवारी व्रत, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षा बंधन, कृष्ण जन्माष्टमी आदि पर्व आते हैं। भक्तगण पूरे महीने व्रत, जाप, दान और ध्यान में लीन रहते हैं।
✅ शिव पुराण पाठ
श्रावण में शिवपुराण का श्रवण और पाठ अत्यंत शुभ और मोक्षदायक माना गया है।
✅ रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप
रुद्राभिषेक से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से रोग, दोष और भय समाप्त होते हैं।
📜 लोक परंपराएं और श्रद्धा के रंग
श्रावण का महीना केवल धार्मिक नहीं, बल्कि लोक सांस्कृतिक भावनाओं से भी जुड़ा है।
- स्त्रियाँ इस महीने हरियाली तीज और मंगलगौरी व्रत करती हैं।
- नवविवाहिताएँ अपने मायके जाकर सावन के गीतों, झूलों और श्रृंगार का रस लेती हैं।
- सावन के गीतों—"सावन आयो रे" से लेकर "झूला पड़े निशानवाँ" तक में लोकजीवन की मिठास दिखाई देती है।
- कांवर यात्रा में लाखों श्रद्धालु गंगा जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
🌺 श्रावण में क्या करें, क्या न करें (धार्मिक आचार संहिता)
✔️ करने योग्य
- प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा
- शिव मंत्रों का जाप (ॐ नमः शिवाय, महामृत्युंजय)
- व्रत और संयम का पालन
- सात्विक भोजन, ध्यान और उपासना
- दान, विशेषकर जल, छाता, वस्त्र आदि
❌ वर्जित कार्य
- मांस, मद्य और तामसिक आहार
- झूठ, क्रोध और कटु वचन
- रात्रि में अनावश्यक बाहर निकलना
- अधिक नींद और आलस्य
✨ श्रावण मास का आत्मिक उद्देश्य
श्रावण मास केवल परंपराओं और कर्मकांड का समय नहीं, बल्कि यह आत्म संयम, प्रायश्चित, आराधना और अंतर्मन की शुद्धि का काल है। यह जीवन की गति को रोककर भीतर झाँकने और प्रभु से जुड़ने का अवसर देता है।
इस माह में यदि श्रद्धा से एक बार भी "ॐ नमः शिवाय" का उच्चारण किया जाए, तो वह मन को शांति, जीवन को दिशा और आत्मा को दिव्यता प्रदान करता है।
🔚 समापन विचार
श्रावण मास हमें केवल व्रत-उपवास की औपचारिकता नहीं सिखाता, यह हमें समर्पण, भक्ति, आस्था और संयम का मार्ग दिखाता है। यह समय है अपने अंदर के शिव को जागृत करने का, बुराइयों को समर्पित करने का और सत्पथ पर आगे बढ़ने का।
"हर हर महादेव की गूंज के साथ, इस श्रावण में शिव तत्व को आत्मसात करें।क्योंकि जब श्रद्धा होती है, तो शिव मिलते हैं।"
🌸 ॐ नमः शिवाय 🌸
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