बाबा बैद्यनाथ धाम और श्रावण मेला : आस्था की अनंत धारा


भारतवर्ष की भूमि केवल भौगोलिक सीमाओं का विस्तार नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और सनातन संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। इस पवित्र भूमि पर ऐसे अनगिनत तीर्थ हैं, जहां श्रद्धा सिर झुकाती है और आत्मा परम शांति का अनुभव करती है। ऐसे ही परम पावन तीर्थों में एक है — बाबा बैद्यनाथ धाम, जो झारखंड राज्य के देवघर जनपद में स्थित है। इस धाम की विशेषता सिर्फ इसकी प्राचीनता या स्थापत्य कला में नहीं है, बल्कि इसमें बसती है वह अनोखी शक्ति, जो हर भक्त के हृदय को छू लेती है।

बाबा बैद्यनाथ : शिव का वैद्य रूप

बाबा बैद्यनाथ को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठिन तप किया और अपना शीश तक चढ़ा दिया। शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उसे आत्मलिंग प्रदान किया, जिसे वह लंका ले जाना चाहता था। देवताओं की युक्ति से वह लिंग देवघर में ही स्थापित हो गया। जब रावण ने अपना अंग काटकर चढ़ाया, तो स्वयं भगवान शिव वैद्य (चिकित्सक) रूप में प्रकट होकर उसके घावों की मरहमपट्टी करने लगे। तभी से शिव यहां “बैद्यनाथ” के नाम से पूजित हुए।

श्रावण मेला : भक्ति की विराट यात्रा

हर वर्ष श्रावण मास में जब सूर्यदेव कर्क राशि में प्रवेश करते हैं, तब आस्था की एक अद्भुत लहर सुलतानगंज (बिहार) से उठती है। वहां की पवित्र गंगा से जल लेकर लाखों श्रद्धालु कांवर में भरकर देवघर के लिए पैदल यात्रा प्रारंभ करते हैं। यह 100 किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा केवल शारीरिक संकल्प नहीं, बल्कि आत्मिक समर्पण की पराकाष्ठा है।बोल बम’, ‘हर हर महादेवऔर जय बाबा बैद्यनाथ के नारों से रास्ता गूंजता है और हर कांवरिया अपने कंधे पर श्रद्धा का भार लिए चलता है।

श्रावण मेला को देश का सबसे बड़ा कांवर मेला माना जाता है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस दौरान देवघर एक सांस्कृतिक-धार्मिक संगम में बदल जाता है। मंदिर प्रांगण में रात-दिन भजन-कीर्तन, सेवा और सुरक्षा के विशेष इंतज़ाम होते हैं। स्थानीय प्रशासन से लेकर स्वयंसेवी संस्थाएं, हर कोई इस ‘भक्ति पर्व’ में सेवा भाव से जुट जाता है।

मंदिर की विशेषता

बाबा बैद्यनाथ मंदिर शिखर शैली की वास्तुकला में बना एक भव्य मंदिर है, जिसकी ऊंचाई लगभग 72 फीट है। मंदिर के शीर्ष पर पंचशूल और सोने का कलश स्थित है। इसके चारों ओर 21 अन्य मंदिर हैं, जिनमें मां पार्वती, अन्नपूर्णा, काली माता, गणेश जी, ब्रह्मा और विष्णु आदि के मंदिर प्रमुख हैं। बाबा धाम की विशेषता यह भी है कि यह भारत का एकमात्र ऐसा तीर्थ है जहां शिव और शक्ति की संयुक्त आराधना होती है।

देवघर : अब बन रहा वैश्विक तीर्थ

आज का देवघर केवल धार्मिक तीर्थ नहीं, बल्कि एक विकसित पर्यटन स्थल भी बन चुका है। यहां रोपवे, त्रिकूट पर्वत, नंदी की गुफा, तपोवन और नवविकसित हवाई अड्डा इसे देश-विदेश से जुड़ने वाला तीर्थ बनाते हैं। डिजिटल दर्शन, CCTV निगरानी और सुव्यवस्थित लाइनों के कारण यहां का दर्शन अनुभव पहले से अधिक सुगम और सुखद हो गया है।

उपसंहार : बाबा की शरण में सब कुछ सरल है

बाबा बैद्यनाथ धाम न केवल एक शिवालय है, बल्कि यह विश्वास का वह केंद्र है जहां जीवन के सारे द्वंद्व शांत हो जाते हैं। यहां आकर हर भक्त यही अनुभव करता है कि—

"जहां श्रद्धा है, वहां शिव हैं।
जहां समर्पण है, वहां समाधान है।
जहां बाबा बैद्यनाथ हैं, वहां भक्ति का सागर है।"

श्रावण मेला और बाबा धाम केवल पूजा या परंपरा नहीं, बल्कि वह विरासत है जो पीढ़ियों से चल रही आस्था की लौ को जलाए रखती है। जो एक बार यहां आता है, वह जीवन भर बाबा का हो जाता है।

जय बाबा बैद्यनाथ!

✍️परिव्रतन चक्र समाचार सेवा, बलिया।




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