बलिया, 06 अगस्त 2025। कटहल नाला पर बना नया पुल आखिरकार आम जनता के लिए खोल दिया गया, लेकिन इसके उद्घाटन को लेकर नया विवाद सामने आ गया है। प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री एवं बलिया सदर विधायक दयाशंकर सिंह ने लोक निर्माण विभाग (PWD) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बिना सूचना दिए और बिना विधिवत उद्घाटन के ही पुल को चालू कर दिया गया, जो जनप्रतिनिधियों का सीधा अपमान है।
परिवहन मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस पुल के उद्घाटन को लेकर उन्होंने स्वयं कई बार PWD के अधिशासी अभियंता (XEN) से बात की थी। उन्होंने पुल को जल्द शुरू कराने की मांग की थी क्योंकि इससे आम जनता को आवागमन में काफी परेशानी हो रही थी। लेकिन हर बार यह कहकर टाल दिया गया कि पुल को अभी टेस्टिंग और तकनीकी क्लीयरेंस नहीं मिला है, इसलिए उद्घाटन संभव नहीं है।
दयाशंकर सिंह ने आरोप लगाया कि अब अचानक किसी राजनीतिक दबाव या किसी 'नेता' के इशारे पर पुल को चालू कर दिया गया, जबकि न तो उन्हें और न ही नगर पालिका अध्यक्ष को इस बारे में कोई जानकारी दी गई। उन्होंने इस घटनाक्रम को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, "जब जनता के हित में कोई कार्य होता है, तो जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा कर उसे इस तरह गुपचुप तरीके से चालू करना लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन है।"
क्या श्रेय की लड़ाई में उलझेंगे जनप्रतिनिधि?
इस पूरे घटनाक्रम से एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है — क्या बलिया के जनप्रतिनिधि सिर्फ उद्घाटन का श्रेय लेने की होड़ में लगे हैं, या फिर यह प्रशासनिक पारदर्शिता और जनप्रतिनिधियों के सम्मान से जुड़ा मसला है?
जनता के बीच भी इसको लेकर चर्चा तेज है कि पुल का संचालन शुरू होना स्वागत योग्य है, लेकिन इससे जुड़े संवैधानिक और सामाजिक शिष्टाचार का पालन किया जाना चाहिए। विपक्षी नेताओं का कहना है कि अगर पुल जनता के लिए तैयार था, तो देरी क्यों की जा रही थी? वहीं सत्ताधारी पक्ष का कहना है कि जनप्रतिनिधियों को नजरअंदाज कर कार्य शुरू करना एक गलत परंपरा की शुरुआत है।
प्रशासन से अब जवाब की मांग
परिवहन मंत्री की नाराज़गी के बाद अब यह देखना अहम होगा कि PWD के अधिकारी इस पर क्या सफाई देते हैं, और क्या इस मुद्दे पर कोई विभागीय कार्रवाई होती है या नहीं। साथ ही यह भी देखना होगा कि जनहित के कार्यों में राजनीतिक संतुलन और प्रशासनिक समन्वय कैसे सुनिश्चित किया जाए ताकि इस तरह की स्थिति दोबारा उत्पन्न न हो।
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