बलिया : भगत का मंत्र बना जीवन का संदेश : ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्यशाला का यादगार समापन


रंगमंच में जीवंत हुई संवेदनाएं: बलिया में ‘मंत्र’ नाटक ने दर्शकों को भावविभोर किया

बलिया। साहित्य और रंगमंच का अद्भुत संगम देखने को मिला शुक्रवार की संध्या, जब बलिया जनपद के टाउन हॉल स्थित बापू भवन में एक माह तक चली ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्यशाला का भव्य समापन हुआ। यह कार्यशाला संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ (उत्तर प्रदेश सरकार) और रंगभूमि थिएटर ग्रुप एवं सांस्कृतिक शिक्षा केंद्र, बलिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई थी।

कार्यशाला में प्रतिभागियों ने हिंदी कथा साहित्य के पुरोधा मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी “मंत्र” का मंचन किया। नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ से प्रशिक्षित युवा रंग निर्देशक चंदन कुमार साहनी ने किया। उनके निर्देशन में मंचित यह नाटक मानवीय संवेदना, आस्था और विश्वास की शक्ति का गहरा संदेश लेकर आया।

नाटक की कहानी में बुजुर्ग भगत की करुण पुकार ने डॉक्टर चड्ढा के घर में दुख की घड़ी में उम्मीद की किरण जगा दी। भगत के उच्चारित मंत्र ने चड्ढा के पुत्र को नया जीवनदान दिया, और यही क्षण मंचन का सबसे भावुक दृश्य बना।

कार्यशाला में मायरा गोस्वामी, लक्की पांडेय, मिनटी रावत, पुष्पा, अंजली रावत, छोटे लाल प्रजापति, अनुपम पांडेय, राहुल कुमार, हरिवंश कुमार, लक्की गोस्वामी, करन, मंटू, अजित यादव, दिव्यांश गोस्वामी, बृजेश राय, सुशील केसरी सहित सभी कलाकारों ने अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया।

छोटे लाल प्रजापति ने भगत की भूमिका में विलक्षण अभिनय क्षमता का परिचय देते हुए दर्शकों को भावविह्वल कर दिया। उनके संवादों और भाव-भंगिमा ने सभागार में गहरी छाप छोड़ी। वहीं भगत की पत्नी बनीं मिनटी रावत ने अपने दर्दभरे संवाद और स्वाभाविक अभिनय से सभी को झकझोर दिया। डॉक्टर चड्ढा की भूमिका में हरिवंश कुमार ने भी प्रभावी अभिनय कर खूब सराहना बटोरी।



कार्यक्रम की अध्यक्षता जनपद के वरिष्ठ रंगकर्मी आशुतोष सिंह ने की, जिन्होंने कहा कि  रंगमंच मानवीय संवेदनाओं को जीवंत करता है। आज की प्रस्तुति ने यह साबित कर दिया कि नई पीढ़ी में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनपद के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. रितेश सोनी ने सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया और कहा मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं युगों-युगों तक समाज को दिशा देती रहेंगी। रंगमंच से उनका पुनर्पाठ आज भी प्रासंगिक और आवश्यक है।

कार्यक्रम के अंत में रंगभूमि थिएटर ग्रुप एवं सांस्कृतिक शिक्षा केंद्र के सचिव चंदन कुमार साहनी ने इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग देने वाले शिवकुमार कौशिकेय, राजेंद्र भारती, सुनील यादव सहित सभी सहयोगियों के प्रति विशेष आभार प्रकट किया।

सभागार में उपस्थित दर्शकों ने कलाकारों के अभिनय और प्रस्तुति को लंबे समय तक तालियों से सराहा। नाटक की जीवंतता और उसमें समाहित करुणा, आस्था और मानवीय मूल्यों ने सभी को गहराई से प्रभावित किया।

कार्यशाला और मंचन ने यह संदेश दिया कि मनुष्य को अपने सुख-दुख में एक-दूसरे का संबल बनना चाहिए, ताकि समाज में प्रेम, करुणा और आपसी विश्वास की नींव सशक्त बनी रहे।




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