पुण्यतिथि पर संगोष्ठी में बुद्धिजीवियों ने दी श्रद्धांजलि, लोक संचार की भूमिका पर हुई गंभीर चर्चा
बलिया। जनपद के वरिष्ठ मानवाधिकारवादी चिंतक और सामाजिक न्याय के लिए आजीवन संघर्षरत रहे चितरंजन सिंह की पांचवीं पुण्यतिथि पर गुरुवार को श्री मुरली मनोहर टाउन इंटर कॉलेज, बलिया में एक विचारोत्तेजक संगोष्ठी एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। विषय था — "लोक सुचिता में जनसंचार की भूमिका", जिसमें जिले भर के बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, शिक्षक और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
संगोष्ठी में वक्ताओं ने चितरंजन सिंह को "जनयोद्धा", "व्यक्तिगत सत्याग्रही" और "संघर्ष का प्रतीक" बताते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही लोकतंत्र में गिरती राजनीतिक नैतिकता और जनसंचार की बदलती भूमिका पर गंभीर विमर्श किया गया।
वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने कहा कि चितरंजन सिंह न सिर्फ एक पत्रकार या कार्यकर्ता थे, बल्कि वे सत्य के सजग प्रहरी थे। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में नैतिकता और सुचिता का ह्रास चिंताजनक है, लेकिन उससे भी अधिक खतरनाक जातिगत ध्रुवीकरण का बढ़ता प्रभाव है।” उन्होंने इस मौके पर अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से चितरंजन जी को श्रद्धांजलि दी।
जेपी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. हरिकेश सिंह ने जेपी आंदोलन और चितरंजन सिंह के योगदान को याद करते हुए कहा, “बलिया की धरती का सौभाग्य है कि उसे जेपी, चंद्रशेखर और चितरंजन सिंह जैसे सपूत मिले। लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए उनके आदर्शों को अपनाने की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि अगर राजनीतिक सुचिता पर बल देने वाले संस्थान की स्थापना होती, तो आज की स्थिति कुछ और होती।
उन्होंने रामगोविन्द चौधरी और गौरी भैया को राजनीति में नैतिक आदर्शों के उदाहरण के रूप में याद किया। आपातकाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “1975 में दंभ की देवी इंदिरा और संयम के देवता जेपी के संघर्ष में लोकतंत्र का गला घोंटा गया। लेकिन यही वह कालखंड था जिसने जनजागरण को जन्म दिया।”
पूर्व मंत्री और नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए छात्रों और युवाओं में जागरूकता का संचार अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज लोक सुचिता सबसे बड़े संकट के दौर से गुजर रही है।
अध्यक्षीय भाषण में विजेंद्र मिश्रा ने कहा कि आज के युवाओं में आंदोलनों के प्रति संदेह है, जो उन्हें पीछे कर रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि आज के नेता प्रेरक भूमिका निभाएं और चितरंजन सिंह जैसे व्यक्तित्व से प्रेरणा लें।
कवि यश ने अपनी कविताओं के माध्यम से चितरंजन सिंह को काव्यांजलि अर्पित की, वहीं कार्यक्रम का संचालन रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने प्रभावशाली ढंग से किया।
पूर्व प्राचार्य डॉ. अखिलेश सिन्हा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, जबकि कॉलेज प्रबंधक सुभाष चंद्र श्रीवास्तव ने समापन पर चितरंजन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आभार जताया।
कार्यक्रम में जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह, छात्र नेता राणा प्रताप सिंह, रोटेरियन ज्ञान प्रकाश गुप्ता, जेपी सिंह, डॉ. हरिमोहन, मोहन सिंह, प्रनेश सिंह, गोपाल सिंह युवा, प्रदीप सिंह, रामकृष्ण यादव, शैलेश सिंह, मनीष सिंह सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन उपस्थित रहे।
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