समाजसेवा का जीवंत उदाहरण बनी बृज की रसोई आशियाना में सैकड़ो जरूरतमंदों को नि:शुल्क पौष्टिक भोजन


समाजसेवा का जीवंत उदाहरण बनी बृज की रसोई आशियाना में सैकड़ो जरूरतमंदों को नि:शुल्क पौष्टिक भोजन

संवेदना की थाली : बृज की रसोई ने फिर रचा सेवा का कीर्तिमान : विपिन शर्मा 

हर रविवार सेवा का नया सूरज उगाती है बृज की रसोई

लखनऊ। समाज कल्याण की भावना और मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि मानने वाली इण्डियन हेल्पलाइन सोसाइटी द्वारा संचालित बृज की रसोई ने रविवार को एक बार फिर सेवा का सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया। आशियाना क्षेत्र की मलिन बस्तियों, निर्माणस्थलों और झुग्गी-झोपड़ियों में निवासरत लगभग 1150 जरूरतमंद बच्चों, बुजुर्गों और श्रमिकों को नि:शुल्क पौष्टिक भोजन वितरित किया गया। इस अवसर पर वातावरण भावुक, प्रेरणादायक और सेवा-भाव से परिपूर्ण रहा।


इस वितरण अभियान में दिनेश चन्द्र श्रीवास्तव ने अपनी सुपुत्री नूपूर श्रीवास्तव के साथ मिलकर अपने दामाद सुधीर कुमार के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में निःशुल्क भोजन वितरण में भागीदारी की। उन्होंने कहा, समाज के वंचित वर्ग की सेवा करना वास्तव में आत्मा की संतुष्टि का माध्यम है। परिवार सहित इस कार्य में सहभागिता से यह दिन अत्यंत विशेष बन गया।


श्रीमती नूपूर श्रीवास्तव ने भावविभोर होते हुए कहा, यह आयोजन मेरे लिए एक यादगार अनुभव है। जब कोई भूखा बच्चा मुस्कुराकर थाली लेता है, तो वह मुस्कान किसी भी उपहार से अधिक मूल्यवान लगती है। सुधीर कुमार ने जन्मदिवस पर समाज से आह्वान किया, यदि हम अपने जीवन के खास मौकों को जरूरतमंदों के साथ बाँटें, तो यह न केवल हमारी खुशियाँ बढ़ाता है, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा देता है।


बस्ती-बस्ती में पहुँचा सेवा का संदेश : संस्था की राष्ट्रीय महिलाध्यक्ष रजनी शुक्ला ने जानकारी दी कि यह सेवा वितरण सेक्टर-एम रिक्शा कॉलोनी, रतन खंड, अम्बेडकर विश्वविद्यालय के पास की झुग्गियों, निर्माणाधीन शिक्षण संस्थानों में कार्यरत श्रमिकों के निवास, तथा जोन-8 क्षेत्र की मलिन बस्तियों में संगठित रूप से किया गया।


संस्थापक विपिन शर्मा ने सेवा के मूल भाव को रेखांकित करते हुए कहा, भूख केवल शरीर की नहीं होती, यह आत्मा की पुकार है। जो इस पुकार को सुनकर आगे बढ़ता है, वही सच्चे अर्थों में इंसानियत की कसौटी पर खरा उतरता है।


सेवा-सहयोगी संजय श्रीवास्तव ने कहा, ऐसे आयोजनों से सामाजिक समरसता को बल मिलता है। भोजन वितरण केवल एक कर्म नहीं, बल्कि आत्मिक शांति का मार्ग है।


विकास पाण्डेय ने जनसाधारण से अपील की, आपका छोटा-सा योगदान भी किसी के लिए भोजन नहीं, जीवन का सहारा बन सकता है। हमें इस दिशा में सामूहिक प्रयास करना चाहिए।


अनुराग दुबे ने बताया कि इस अभियान में दिनेश चन्द्र श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, दिनेश कुमार पाण्डेय, विकास पाण्डेय, दिव्यांशु राज, मुकेश कनौजिया, नवल सिंह, संस्था की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष रजनी शुक्ला व गीता प्रजापति सहित अनेक युवा स्वयंसेवकों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।


गीताप्रजापति ने कहा, बृज की रसोई केवल भोजन वितरण की प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह संवेदनशीलता, समर्पण और सामाजिक उत्तरदायित्व का जीवंत प्रतीक बन चुकी है। यह सेवा अभियान अब जन-जन की भागीदारी का आंदोलन बनता जा रहा है। बृज की रसोई का यह आयोजन न केवल जरूरतमंदों के लिए राहत का माध्यम बना, बल्कि समाज के लिए एक बार फिर यह संदेश छोड़ गया कि मानवीय संवेदना ही वह शक्ति है, जो असली बदलाव ला सकती है।



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