बलिया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में ‘कला महोत्सव’ के दूसरे दिन की कार्यशाला कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय के संरक्षण में संपन्न हुआ। डॉ. ज्ञानेंद्र चौहान असिस्टेंट प्रोफेसर ललित कला विभाग ने टेराकोटा रिलीफ वर्क और नेचर के अंतरसंबंध से विद्यार्थियों को रूबरू कराया।
विद्यार्थियों ने मिट्टी से विभिन्न आकृतियों के माध्यम से भारत की कला और संस्कृति को प्रदर्शित किया। विश्वविद्यालय परिसर की कौस्तुभी ने प्रकृति के मनोरम छबि को प्रस्तुत किया। हिंदी विभाग की राजकुमारी ने मिट्टी से निर्मित पत्तो के फूल की सुन्दर आकृति का निर्माण किया। ज्योत्सना तिवारी ने सूर्यमुखी का फूल बनाया।
डॉ. नूरुल हक़ (प्रशिक्षक) ने सृजनात्मक पेंटिंग में मनोवैज्ञानिक दशा एवं कैनवस पर चित्रण करने की कला के बारे में विद्यार्थियों से परिचर्चा की। डॉ. हक़ ने बताया कि प्रकृति को आत्मसात करते हुए हम प्रकृति के रहस्य को कैसे चित्रित करे, जिससे प्रकृति के सौम्य व रौद्र दोनों रूपों का चित्रण किया जा सके। मनोज कुमार यादव ने स्केचिंग करते समय किस प्रकार की सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए, अपने विचार विद्यार्थियों से साझा किया। एक अच्छे कलाकार को जीवंत और यथार्थ कला को अभिव्यक्त रूप देना चाहिए। डॉ. रंजना मल्ल ने बताया कि आज विद्यार्थियों द्वारा निर्माण किए गए कार्य को 31 जनवरी को प्रशासनिक भवन में प्रदर्शित किया जायेगा।
इस अवसर पर डॉ. पुष्पा मिश्रा, डॉ. अजय चौबे, डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. अभिषेक मिश्र, डॉ. प्रमोद शंकर पाण्डेय, डॉ. प्रेमभूषण, डॉ. संदीप यादव, डॉ. गुंजन कुमार, डॉ. प्रवीण नाथ यादव, डॉ. छविलाल एवं समस्त प्राध्यापकगण उपस्थित रहे।
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