जलजमाव की जटिल समस्या, निदान जरूरी

 


बलिया। बिहार और उत्तर प्रदेश की पूर्वी सीमा पर स्थित जनपद बलिया धार्मिकता, राजनीति, स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाला भले ही कहा जाता है किंतु यह कटु सत्य है कि जनपद अनेकों समस्याओं से दो-चार हो रहा है। अशिक्षा, गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़के, शहर का जाम नाली एवं जलजमाव आदि की समस्याओं से जूझ रहा है। यह बात दीगर है कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की नींव डालने एवं बिगुल बजाने में मंगल पांडे की महती भूमिका रही। इसकी चिंगारी 1947 में शोला बनकर आजादी से 5 वर्ष पूर्व ही 14 दिनों के स्वराजी शासन का स्वाद चखा दिया चित्तू पांडे ने। साहित्य को ऊंचाई प्रदान करने वाले व ज्ञानपीठ से पुरस्कृत अमरकांत, केदारनाथ के साथ ही डॉ0 हजारी प्रसाद द्विवेदी, परशुराम चतुर्वेदी ने भी बलिया के साहित्य में चार चांद लगा दिया। 

बलिया की माटी ने चंद्रशेखर जैसे विराट व्यक्तित्व को पैदा किया। सरकार चाहे जिस पार्टी की रही हो सहभागिता मंत्री के रूप में बलिया की सहभागिता अवश्य रही है। प्रधानमंत्री के रूप में चंद्रशेखर जी ने बलिया का नाम रोशन कर दिया। सबकुछ के बावजूद बलिया समुचित विकास नहीं कर सका, और वर्तमान में अनेकों समस्याओं से रूबरू हो रहा है। इन समस्याओं में विशेष रुप से बलिया शहर जलजमाव की समस्याओं से जूझ रहा है। शहर के काजीपुरा मोहल्ला में बरसात के समय पूरा मोहल्ला इस कदर बरसाती पानी से डूब जाता है कि सब के दरवाजे पर कमर भर पानी लग जाता है। लोग अपने घरों में कैद हो जाते हैं। नारकीय स्थिति हो जाती है इसी मुहल्ले में स्थित महर्षि वाल्मीकि स्कूल भी इसी का शिकार हो जाता है। और पूरे बरसात बार पढ़ाई बाधित हो जाती है। 

रेलवे लाइन से मिढी तक जाने वाली सड़क सालों साल जलजमाव से बाधित रहती है। ठीक यही स्थिति आवास विकास कॉलोनी की भी हो जाती है, इस कॉलोनी में कुछ जगहों पर पानी साल भर जमा रहता है। छाया टॉकीज कल्पना कॉलोनी में भी यही स्थिति है। आनंद नगर के कब्रिस्तान से लेकर चांदमारी तक की भी कुछ यही स्थिति है। जेल के पीछे रामदहिंन पुरम में भी बरसात भर नारकीय स्थिति बनी रहती है। यहाँ के लोग यह कहते हुए सुने जाते हैं कि हम लोगों ने जिस सपने को लेकर इसमें अपना रिहायशी मकान बनवाया, जलजमाव ने वह सब सपना ध्वस्त कर दिया। यह काफी जटिल समस्या है। उत्तर प्रदेश शासन को इसे गंभीरता से लेना पड़ेगा इसका समाधान निकालना पड़ेगा, तभी बलिया शहर की इस समस्या से निजात मिल पाएगी।

डॉ0 फतेह चंद "बेचैन" ✍️

कवि एवं साहित्यकार 

आनंद नगर, बलिया (उ0प्र0)



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