श्रीरामचरितमानस की इन चौपाइयों को पढ़ने से धन-धान्य में बढ़ोतरी होने की है मान्यता


श्रीरामचरितमानस चौपाई : वैसे को इन चौपाईयों को किसी भी दिन पढ़ सकते हैं. लेकिन इसके लिए मंगलवार का दिन खास माना जाता है.

धार्मिक मान्यताओं अनुसार रामचरितमानस की रचना 16 वीं शताब्दी में तुलसीदास ने की थी. जानकार ऐसा मानते हैं कि रामचरित मानस की चौपाइयों के जप से हर तरह की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं. इतना ही नहीं लाइफ में आने वाली कई परेशानियों से निकलने में ये चौपाइयां संकटमोचक साबित हो सकती हैं. यहां आप जानेंगे श्रीरामचरितमानस की कुछ ऐसे चौपाइयों के बारे में जिन्हें पढ़ने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होने की मान्यता है.

सुख समृद्धि के लिए-

जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। 
सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं

धन-दौलत में वृद्धि के लिए-

सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई। 
लहहि भगति गति संपति नई।।

परीक्षा में सफलता प्राप्ति के लिए-

जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी।
कवि उर अजिर नचावहिं बानी।।
मोरि सुधारहिं सो सब भांती।
जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।'

विजय प्राप्त करने के लिए-

'पवन तनय बल पवन समाना। 
जनकसुता रघुवीर विबाहु।।'

नौकरी प्राप्त करने के लिए- 

'बिस्व भरन पोषन कर जोई। 
ताकर नाम भरत अस होई

ऋद्धि सिद्ध की प्राप्ति के लिए- 

साधक नाम जपहिं लय लाएं। 
होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं।।

धन प्राप्ति के लिए- 

जिमि सरिता सागर मंहु जाही। 
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।। 
तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं। 
धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।।

मनोकामना पूर्ति के लिए-

भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहि जे नर अरू नारि। 
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसरारी।।

सुखों की प्राप्ति के लिए-

सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई। 
लहहि भगति गति संपति नई।।

ज्ञान में वृद्धि के लिए-

गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई। 
अलपकाल विद्या सब आई।

ऐसे करें चौपाईयों को सिद्ध : रामचरित मानस की चौपाईयों को सिद्ध करने के लिए स्नान कर अष्टांग हवन के बाद चौपाईयां सिद्ध करें. आप जिस कार्य के लिये रामचरित मानस का दिव्य मंत्र आप सिद्ध कर रहें हों, उसकी नित्य एक माला जप करें. वैसे को इन चौपाईयों को किसी भी दिन पढ़ सकते हैं. लेकिन इसके लिए मंगलवार का दिन खास माना जाता है.

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.





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