एफडीआर तकनीक से सड़कों के निर्माण की लागत और कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी, सड़कें ज्यादा होंगी टिकाऊ, पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन में होगी अभिवृद्धि : केशव मौर्य


लखनऊ: 17, जुलाई, 2022। उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य के कुशल मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़़क योजना (पीएमजीएमवाई) फेज-3 में 5500 किमी निर्माण कार्यों/उच्चीकरण में ‘‘फुल डेफ्थ रिक्लेमेशन’’ तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। यूपी आर आर डी ए (उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण) मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री भानु चन्द गोस्वामी  के नेतृत्व में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की देखरेख में एफडीआर तकनीक पर पीएमजीएसवाई की सड़कों के उच्चीकरण का तानाबाना बुना गया है।

डा भानु चन्द गोस्वामी के अनुसार पीएमजीएसवाई फेज-3 में 19 हजार किमी सड़कों का सड़कों का कार्य होना है, जिसमें 14हजार किमी के टेण्डर हो चुके हैं। और लगभग 6हजार किमी सड़कें कम्प्लीट हो गयी हैं। पीएमजीएसवाई में यूपी स्टेट के लिए रू०14203.41 करोड की धनराशि की स्वीकृति प्रदान की गयी थी, जिसके सापेक्ष  रू2744.91 करोड़ की धनराशि व्यय की जा चुकी है।

आपको बताते चलें कि उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य की पहल और सार्थक प्रयासों से उत्तर प्रदेश सरकार के वर्ष 2022-23 के बजट में पीएमजीएसवाई के लिए रू० 7373.71 करोड़ की धनराशि का प्राविधान किया गया है।

प्रथम चरण में 9 सड़कों पर एफ डी आर तकनीक पर  पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कार्य कराया जा रहा है, जो पूर्णता की ओर है। इस तकनीक के तहत  सबसे पहले  जनपद चित्रकूट में  अर्छा-बरेही कामसिन रोड (17.9किमी) पर कार्य कराया गया, जिसमे सड़क की चौड़ाई 3 मीटर से बढ़ाकर 5.5 मीटर की गयी है, इसके अतिरिक्त आगरा, प्रयागराज, हमीरपुर, मैनपुरी, और झांसी जनपदों में भी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कराये गये और इसके बहुत ही उत्साहजनक, सार्थक व सकारात्मक परिणाम निखर कर आये हैं। इस वर्ष 60 जिलो की 697 सड़कें  जिनकी लम्बाई 5500 किमी  है, का  उच्चीकरण/निर्माण एफ डी आर तकनीक से कराया जा रहा है, जिसमें  138कार्य प्रगति पर हैं। 469कार्यो मे टेण्डर/अनुबंध प्रक्रिया पूर्णता की ओर है और 91 कार्य के रिटेण्डर किये गये हैं, विभागीय अधिकारियों को सभी औपचारिकताएं शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। खास बात यह भी है कि इसकी गुणवत्ता की जांच के लिए साइट पर ही बेहद उपयोगी लैब होती है। गुणवत्ता की जांच के लिए जापान से भी तकनीकी सहयोग लिया जा रहा है।

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि देश में पहली बार सबसे पहले उत्तर प्रदेश में एफडीआर तकनीक पर सड़कों के उच्चीकरण का कार्य कराया जा रहा है और यह एक बहुत ही क्रान्तिकारी और अभिनव प्रयोग हुआ है। यह टेक्नोलॉजी, इक्नामिकल और इन्वायरनमेंटल दृष्टिकोण से बहुत ही मुफीद और जनोपयोगी सिद्ध हो रही है। श्री केशव प्रसाद मौर्य ने  विश्वास व्यक्त किया है कि "बेहतर सड़कें -विकसित राष्ट्र" की अवधारणा को एफ डी आर तकनीक से नये पंख लगेंगे। साथ ही साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी आने से पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा मिलेगा। इससे पर्यावरण की अनुकूलता और संतुलन के लिए सरकार की कोशिशें और अधिक बलवती होंगी।

एफडीआर तकनीक के बारे आर आई डी के अधिकारियों  द्वारा बताया गया कि इस तकनीकि में पूर्व में बनी सड़क को डिस्मेंटल कर सीमेंट तथा केमिकल डालकर अत्याधुनिक मशीनों का प्रयोग करते हुए बिना किसी नयी गिट्टी का प्रयोग करे ही सड़कों की चौड़ाई बढ़ाते हुये निर्माण किया  जाता  है। यानी पुरानी बनी, लेकिन जर्जर सड़क की पुरानी गिट्टी का प्रयोग इस तकनीक में कर लिया जाता है, बेशक इसमें अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल होता है। इस तकनीक से बनी सड़कों की लाइफ लगभग 15 वर्ष होती है, साथ अन्य सड़कों के निर्माण की अपेक्षा लागत भी लगभग 20 प्रतिशत कम आती है। 

ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के चीफ इंजीनियर श्री वीरपाल सिंह राजपूत बताते हैं कि इस तकनीक का प्रयोग करने से पूर्व दिल्ली में एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस इस विषय पर बुलाई गई और उसमें कई प्रेजेंटेशन रखे गए। काफी विचार विमर्श के बाद इस तकनीक के सभी पहलुओं पर गहन विचार विमर्श के बाद उत्तर प्रदेश में इस तकनीक को अपनाए जाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा की एफ डी आर बेस्ट फोर स्टेट हाईवे जैसी अच्छी और सुंदर तथा टिकाऊ लगती हैं। इस तकनीक का प्रयोग केवल पीएमजीएसवाई की सड़कों के उच्चीकरण में ही किया जा रहा है, इस तकनीक से नई सड़के  नहीं बनाई जा रही हैं।

यूपीआरआरडीए के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डा0 भानु चंद्र गोस्वामी ने बताया कि एफडीआर तकनीक के बारे में स्टेट लेवल पर एक बड़ी कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि  उत्तर प्रदेश में इस तकनीक से बनाई जा रही सड़कों को देखने कई प्रांतों के सड़कों से जुड़े तकनीकी विशेषज्ञ आ चुके हैं। श्री गोस्वामी ने प्रदेश के समस्त मुख्य विकास अधिकारियों से कहा है कि वह इस तरीके की सड़कों को बनाने में जिलों में अपना सकारात्मक सहयोग प्रदान करें।समय से सेंपल भिजवाना सुनिश्चित करें। इसमें 2 दिन ट्रैफिक रोकना पड़ता है, उसके मैनेजमेंट की व्यवस्था तत्समय संबंधित रोड पर की जानी होगी।

बी एल यादव

सूचना अधिकारी। 



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