*मन की ख्वाहिश*

 


कुछ बात बतानी होती है

कुछ राज छुपाने होते हैं

जीवन में झमेले हैं इतने

कभी हँसते हैं कभी रोते हैं


ख्वाहिश है कुछ तो अलग करें

पहचान नाम भी हो अपना

मिलता है किस्मत वालों को

मेरा तो अधूरा है सपना


जीते जी याद करो न करो

जाना न भूल जब मर जायें

कोरे कागज पर छप न सकी

पर यकीं आपके मन भायें


....मन....

✍️ मंजू राही

साभार-विश्व हिंदी संस्थान, कनाडा। 



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