अंधकारमय झोपड़ियों से तिमिर मिटाएं।
याद करे हम ज्ञान ध्वजा की जीर्ण-शीर्ण नालन्दा को,
तक्षशिला और बोधगया का बोध कराए भूलें-भटकें युवकों को,
आर्यभट्ट और वराहमिहिर का पाठ पढाएं नूतन पीढी को,
गुरु वशिष्ठ की ज्ञान-धरा पर ज्ञान बोध और प्रज्ञा का दीप जला कर,
संत विनोबा के सपनों की फिर सर्वोदयी मशाल जलाए,
आओ मिलकर दिया जलाएं---
हर हृदयांगन में करूणा और परमार्थ जगाकर,
मातृभूमि की सेवा में तन मन धन सारा जीवन निःस्वार्थ लगाकर,
उम्मीदो की ऊर्वर माटी पर निर्माण का वीरवाॅ सृजनार्थ लगाकर,
रूखी सूखी भूखी प्यासी मरुभूमि पर भागीरथ की गंगा का फिर नीर बहाऐ।
भारतेन्दु के पौरुष का पुरुषार्थ जगाकर,
पंत निराला और दिनकर का साहित्यिक सामर्थ्य जगाकर,
विस्मिल-हमीद का हौसला और उत्सर्ग जगाकर,
सत्य अहिंसा और सत्याग्रह का संघर्ष जगाकर,
गाँधी 'सुभाष के सपनों का फिर से भारत वर्ष बनाऐ।
मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता
बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ।
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