औलाद की "ख़ुशी"

आज का ज्ञान :-

एक बहुत अमीर आदमी था, उसके कई सारे दोस्त थे जैसे की अक्सर होते ही हे पर उसमे से एक दोस्त जो काफी गरीब था, वह उस अमीर आदमी का विश्वासपात्र था। एक दिन अमीर आदमी ने अपने घर पर सभी दोस्तो को खाने का आमंत्रण  दिया, सभी मित्र अमीर आदमी के घर आते है।

भोजन के बाद अमीर आदमी को ख्याल आता है कि उसने एक उंगली मे कीमती हीरे जड़ित अंगूठी पहनी हुई थी जो थोड़ी ढीली होने के कारण कही गिर गई है। सभी मित्र घर मे अंगूठी खोजने मे मदद करते है। लेकिन वो अंगूठी कही नही मिलती है। एक मित्र कहता है। "आप एक-एक कर हम सभी की तलाशी ले सकते है। नहीं तो एक आदमी की वजह से हम सभी हमेशा के लिए आप की नजर मे शक के दायरे मे रहेगे!"

सभी मित्र तलाशी के लिये तैयार हो जाते है, सिवाए एक गरीब मित्र के ! वो अपनी तलाशी देने से मना कर देता है, सभी मित्र उसका अपमान करते है। अमीर आदमी किसी की तलाशी ना लेकर सभी को विदा करता है।

दूसरे दिन सुबह जब अमीर आदमी अपने कोट की अंदर वाली जेब में हाथ डालता है तो अंगूठी मिल जाती है। और वो सीधा गरीब मित्र के घर आता है और अपने मित्रों द्वारा किये गऐ अपमान की माफी माँगता है और अपनी तलाशी ना देने की वजह पूछता है।

गरीब मित्र पलंग पर सोये हुये अपने बीमार पुत्र की ओर इशारा करते हुए कहता है। "मै जब आपके यहाँ आ रहा था, इस ने मिठाई खाने की जिद की थी, आप के यहाँ जब खाना खा रहा था तो मिठाई दिखी तो मैने वो न खाकर अपने पुत्र के लिये जेब मे रख ली थी।

अगर तलाशी ली जाती तो अंगूठी की ना सही मिठाई की चोरी का इल्जाम जरूर लगता इसीलिये अपमान सहना बेहतर समझा सच बताता तो बीच मे बेटे का नाम भी आता और मैं अपनी परेशानी बताना नहीं चाहता था !"

यह सुनकर अमीर दोस्त अपने उस गरीब दोस्त के बेटे के इलाज के लिए मदद करता है। अर्थात इस कहानी से यह साबित होता है की माता-पिता अपनी औलाद की छोटी से छोटी ख़ुशी के लिये क्या-क्या सहन नहीं करते है.. !! यह एक सोचने वाली बात है और वही औलाद बड़े होकर अपने माँ-बाप की बड़ी-बड़ी खुशियाँ तक ध्यान नहीं रखती।..



डॉ0 वी0 के0 सिंह

दंत चिकित्सक

ओम शांति डेण्टल क्लिनिक

इंदिरा मार्केट, बलिया। 



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