परिवर्तनी एकादशी व्रत 17 सितंबर 2021 दिन सोमवार को रखा जाएगा. यह एकादशी व्रत हर साल भादो शुक्ल एकादाशी तिथि को रखा जाता है. आइये जानें पूजा मंत्र, विधि व महत्व :-
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तनी एकादशी या जलझूलनी एकादशी कहते हैं. इसके अलावा इसे पार्श्व या पद्मा एकादशी (Padma Ekadashi) के नाम से भी जानते हैं. इस साल परिवर्तनी एकादशी 17 सितंबर दिन सोमवार को पड़ेगी.
क्यों कहते हैं परिवर्तनी एकादशी :
पौराणिक कथा के अनुसार, भादो शुक्ल एकादशी तिथि के दिन, भगवान विष्णु चतुर्मास के दूसरे महीने में शयन शैय्या पर सोते हुए करवट बदलते हैं. उनके इस स्थान परिवर्तन के कारण इस एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं.
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु वामन रूप में पाताल में निवास करते हैं. इसलिए इस एकादशी को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करनी चाहिए.
परिवर्तिनी एकादशी व्रत पूजा मंत्र :
ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
शांताकारं भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मीकान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।।
पद्मा एकादशी व्रत पूजा विधि :
परिवर्तनी एकादशी व्रत रखने के लिए दशमी तिथि को सूर्यास्त के बाद से भोजन न ग्रहण करें. उसके बाद एकादशी व्रत के दिन सूर्योदय के पूर्व स्नान आदि करके भगवान विष्णु या फिर घर के मंदिर में जाकर व्रत का संकल्प लें. अब घी का दीपक जलाएं. इसके बाद उन्हें अक्षत, फूल, मीठा, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें. उसके बाद पूजन मन्त्रों का जाप करें. अंत में आरती करें. उसके बाद दिन भर, निर्जला या फलाहारी जैसे भी रह सकें, व्रत रहें. रात में जागरण करते हुए भगवान विष्णु का भजन करें. सुबह द्वादशी तिथि में शुभ मुहूर्त में व्रत पारण करें.
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