आचार्य ने अपने अनुभवों से लोगों को सिर्फ सही मार्ग ही नहीं दिखाया बल्कि आहार से जुड़े कुछ नियमों के बारे में भी बताया है, ताकि वे अपना जीवन सेहतमंद होकर गुजार सकें. आचार्य ने गिलोय को सबसे महत्वपूर्ण औषधि माना है.
कुशल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, समाजशास्त्री और प्रकांड अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य की बातों को आज के समय में भी याद किया जाता है. उनकी क्षमता और दूरदर्शिता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि लोगों के बीच आज भी उनकी छवि एक मैनेजमेंट गुरू की तरह है जो जीवन की तमाम स्थितियों से सरलता से निपटने के तरीके बताते हैं. आचार्य की बातों का अनुसरण करके व्यक्ति तमाम मुसीबतों को आने से रोक सकता है और उनमें फंसने पर सरलता से बाहर निकल सकता है.
आचार्य ने अपने नीति शास्त्र में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए करीब करीब हर विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं. आचार ने आहार से जुड़े तमाम नियमों के बारे में भी बताया है ताकि लोग सेहतमंद रहकर अपना जीवन गुजार सकें. जानिए आहार को लेकर आचार्य द्वारा कही गईं खास बातें.
गुरच औषधि सुखन में भोजन कहो प्रमान,
चक्षु इंद्रिय सब अंश में, शिर प्रधान भी जान.
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य ने गुरच यानी गिलोय के गुणों का बखान किया है और इसे सर्वश्रेष्ठ औषधि बताया है. श्लोक में आचार्य कहते हैं कि औषधियों में गुरच सर्वश्रेष्ठ है और सभी सुखों में भोजन परम सुख होता है. सभी इंद्रियों में आंखें सबसे महत्वपूर्ण हैं और मस्तिष्क सबसे प्रमुख है. इसलिए सेहतमंद भोजन करें, गुरच का सेवन करें, आंखों का खयाल रखें और दिमाग को तनावमुक्त रखें.
राग बढत है शाकते, पय से बढत शरीर,
घृत खाये बीरज बढे, मांस मांस गम्भीर.
इस श्लोक में आचार्य ने कहा है कि शाक खाने से रोग बढ़ते हैं और दूध पीने से शरीर बलवान होता है. घी खाने से वीर्य में वृद्धि होती है और मांस आपके शरीर में मांस को ही बढ़ाता है.
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