चाणक्य नीति कहती है कि जीवन में सफलता तभी मिलती है जब व्यक्ति श्रेष्ठ गुणोेंं को अपनाकर उच्च आचरण प्रस्तुत करता है.
सफलता की कुंजी कहती है कि जीवन में सफलता के लिए श्रेष्ठ गुण और आचरण अत्यंत आवश्यक है. जो लोग इन बातों का ध्यान रखते हैं, वे जीवन में सभी प्रकार के सुखों को भोगते हैं. ऐसे लोगों पर लक्ष्मी जी की भी विशेष कृपा बनी रहती है.
विद्वानों का मानना है कि बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को सर्वप्रथम संर्कीण मानसिकता का त्याग करना चाहिए. व्यक्ति को अपने हृदय को विशाल बनाना चाहिए. क्योंकि छोटे मन और विचारों से कोई भी बड़ी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है.
अहंकार न करें- विद्वानों का कहना है कि अहंकार व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है. अहंकार व्यक्ति की श्रेष्ठ प्रतिभाओं को भी नष्ट कर देता है. ऐसा व्यक्ति कभी प्रसन्न नहीं रहता है, उसका चित्त व्याकूल ही रहता है. शांति उसके जीवन से दूर चली जाती है. कई प्रकार के रोग और बुराईयां भी ऐसे लोगों को घेर लेती हैं. इसलिए अहंकार से दूर रहना चाहिए. अहंकारी व्यक्ति को सम्मान नहीं मिलता है. करीबी लोग भी दूरी बना लेते हैं.
बुराई से दूर रहें- विद्वानों का कहना है कि व्यक्ति को हर प्रकार की बुराई से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए. बुराई न तो करें और न ही बुराई को सुनें. बुराई सुनना भी गलत आदत है. इस कारण भी व्यक्ति को कभी हानि उठानी पड़ती है. बुराई का त्याग करना चाहिए. जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो निंदारस भी दूर रहना चाहिए.
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